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विदेशों में कालाधन 216 से 490 अरब डालर होने का अनुमान, संसदीय समिति की रिपोर्ट पेश

देश के बाहर कितना कालाधन जमा है इसके आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैलेकिन अलग-अलग अध्ययन के अनुसार साल 1980 से 2010 के बीच 216 अरब डालर से 490 अरब डालर तक कालाधन विदेश में जमा है।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 24 Jun 2019 10:20 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 10:20 PM (IST)
विदेशों में कालाधन 216 से 490 अरब डालर होने का अनुमान, संसदीय समिति की रिपोर्ट पेश
विदेशों में कालाधन 216 से 490 अरब डालर होने का अनुमान, संसदीय समिति की रिपोर्ट पेश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के बाहर भारतीयों का कितना कालाधन जमा है, इसके आधिकारिक आंकड़े तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन तीन अलग-अलग अध्ययन बताते हैं कि वर्ष 1980 से 2010 के दौरान भारतीयों का 216 अरब डालर से 490 अरब डालर तक कालाधन विदेशों में होने का अनुमान है। विदेशी कालेधन के संबंध में यह अनुमान नेशनल इंस्टीट्टयूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआइपीएफपी), एनसीएईआर और एनआइएफएम के अध्ययन पर आधारित है। इन तीनों संस्थानों के अध्ययन में यह खुलासा भी हुआ है कि सबसे ज्यादा कालाधन रियल एस्टेट, खनन, फार्मास्यूटिकल्स, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, बुलियन, वस्तु व्यापार, फिल्म और शिक्षा क्षेत्रों में छुपा है।

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वित्त मामलों संबंधी संसद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति ने 16वीं लोक सभा भंग होने से पहले तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को 28 मार्च 2019 को यह रिपोर्ट सौंपी थी। 'स्टेटस ऑफ अनएकाउंटेड इनकम वेल्थ बोथ इनसाइड इंडिया एंड आउटसाइड द कंट्री' शीर्षक वाली यह रिपोर्ट सोमवार को लोक सभा में पेश होने के बाद सार्वजनिक की गयी। समिति ने साफ कहा है कि न तो कालेधन के सृजित होने या जमा होने के संबंध में कोई विश्वसनीय आंकड़े हैं और न ही इस तरह अनुमान लगाने का कोई सर्वमान्य तरीका। अब तक जो अनुमान लगाये गये हैं उनमें न तो एकरूपता है और न ही गणना के तरीके को लेकर आम राय है।

समिति के मुताबिक ऐसा लगता है कि देश के भीतर और बाहर छुपे कालेधन का विश्वसनीय अनुमान लगाना कठिन है, तीन अलग-अलग संस्थानों के आंकड़ों में व्यापक अंतर की वजह से यह प्रतीत होता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार का भी यही मत है कि इन तीनों रिपोर्ट के आधार पर कालेधन का अनुमान लगाने की गुंजाइश नहीं है।

रिपोर्ट में राजस्व सचिव के हवाले से कहा गया है कि तीनों रिपोर्ट में कालाधन देश के जीडीपी का सात प्रतिशत से लेकर 120 प्रतिशत तक होने की बात कही गयी है। कालेधन के अनुमान के लिये उपयुक्त विधि पर आम राय नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने 1980 से 2010 के दौरान देश से बाहर 384 अरब डालर से 490 अरब डालर कालाधन जमा होने का अनुमान लगाया है। इसी तरह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट ने 1990 से 2008 के बीच 216 अरब डालर विदेशी कालाधन होने की बात कही है। वहीं एनआइपीएफपी का अनुमान है कि 1997 से 2009 के दौरान जीडीपी के 0.2 प्रतिशत से लेकर 7.4 प्रतिशत तक कालाधन देश से बाहर गया।

गौरतलब है कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने मार्च 2011 में इन तीनों संस्थानों को देश के भीतर और बाहर छुपे कालेधन का अनुमान लगाने का जिम्मा सौंपा था।

समिति ने वित्त मंत्रालय को देश के भीतर और बाहर छुपे कालेधन को निकालने के लिए कड़े प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा मंत्रालय को एसआइटी की सात रिपोर्ट और कालेधन का अनुमान लगाने के लिए गठित की गयी तीनों समितियों की रिपोर्ट पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। टैक्स बेस बढ़ाने की वकालत करते हुए समिति ने बहुप्रतीक्षित डाइरेक्ट टैक्स कोड को अंतिम रूप देकर शीघ्र ही संसद में पेश करनी चाहिए ताकि देश में डाइरेक्ट टैक्स कानूनों को सरल और तर्कसंगत बनाया जा सके।

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