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वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए भाजपा की मुहिम शुरू, विपक्ष की आशंकाओं को किया खारिज

भूपेंद्र यादव के अनुसार एक साथ चुनाव होने की स्थिति में धन के अभाव में क्षेत्रीय दलों के चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय दलों से पिछड़ने की आशंका भी बेमानी है। इसके बजाय बार-बार चुनाव होने से क्षेत्रीय दलों पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ता है।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 10:00 PM (IST)
वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए भाजपा की मुहिम शुरू, विपक्ष की आशंकाओं को किया खारिज
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव वरिष्ठ प्रवक्ता संबित पात्रा

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के मुद्दे पर जनजागरण और राष्ट्रीय सहमति तैयार करने के लिए भाजपा ने नई मुहिम की शुरुआत की है। इसके तहत बुधवार को एक वेबिनार को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव ने लोकसभा और विधानसभा के साथ ही स्थानीय निकाय चुनावों को भी एक साथ कराने की जोरदार वकालत की है। इस अवसर पर 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर जनजागरण के लिए कैलाश खेर का गीत भी लांच किया गया। 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को देश के विकास की गति बनाए रखने के लिए जरूरी बताते हुए भूपेंद्र यादव ने इसके खिलाफ विपक्ष की आपत्तियों को दूर करने का प्रयास किया। 

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एक साथ चुनाव कराने को लेकर विपक्ष की आशंकाओं को किया खारिज

एक साथ चुनाव होने पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने से क्षेत्रीय दलों के नुकसान की आशंका खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में देश के मतदाता बहुत परिपक्व हो चुके हैं। वे स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों के हिसाब से मतदान करना सीख गए हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले साल लोकसभा चुनाव के साथ हुए ओडिशा और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया। दोनों राज्यों में मतदाताओं ने लोकसभा के लिए भाजपा को तरजीह दी, जबकि विधानसभा के लिए बीजू जनता दल और टीआरएस के उम्मीदवारों को जिताया। 

इसी तरह झारखंड में लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की पहली पसंद भाजपा रही, लेकिन चार महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने झामुमो को ज्यादा पसंद किया। भूपेंद्र यादव के अनुसार एक साथ चुनाव होने की स्थिति में धन के अभाव में क्षेत्रीय दलों के चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय दलों से पिछड़ने की आशंका भी बेमानी है। इसके बजाय बार-बार चुनाव होने से क्षेत्रीय दलों पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ता है। धन जुटाने में राष्ट्रीय दलों की तुलना में क्षेत्रीय दलों को अधिक परेशानी होती है। एक बार चुनाव होने से क्षेत्रीय दलों को ज्यादा आसानी होगी। 

उनके अनुसार एक साथ चुनाव होने से विकास योजनाओं को रफ्तार मिलेगी। बार-बार चुनाव और उसके कारण लगने वाली आचार संहिता से विकास के काम बाधित नहीं होंगे। उनके अनुसार पांच साल में एक बार चुनाव होने से लोकतंत्र की जड़ें उतनी ही मजबूत रहेंगी, बल्कि इससे चुनाव पर होने वाले खर्चे की बचत भी होगी। उन्होंने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए फिलहाल कानून बनाने की संभावना से इनकार कर दिया। उनके अनुसार सभी दलों में आपसी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। वेबिनार का संचालन भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता संबित पात्रा ने किया। इसमें वरिष्ठ डॉक्टर नरेश त्रेहन ने भी हिस्सा लिया। जबकि कैलाश खेर ने एक गीत गाया, जिसका संदेश था कि जब बिगड़ी हुई चीजों को दुरुस्त किया जाएगा तभी सब कुछ ठीक होगा। 


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