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मप्र में विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने अनुसूचित जाति वोटों के लिए बिछाई बिसात

अजा बहुल सीटों पर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। इन सीटों पर 2018 में कांग्रेस के उम्मीदवार भारी मतों के अंतर से जीते थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 08:16 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 08:16 PM (IST)
मप्र में विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने अनुसूचित जाति वोटों के लिए बिछाई बिसात
मप्र में विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने अनुसूचित जाति वोटों के लिए बिछाई बिसात

आनन्द राय, भोपाल। मप्र विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अनुसूचित जाति (अजा) वर्ग की अहम भूमिका रहेगी। भाजपा ने इन वोटों के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है। एक तरफ वह कांग्रेस को अजा विरोधी साबित करने पर तुली है और दूसरी तरफ बसपा के हर कदम पर नजर टिकाए है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मोर्चा संभाल लिया है। सरकार और संगठन की ओर से विधानसभा क्षेत्रों के अनुसूचित जाति बहुल बूथों पर पूरी ताकत लगा दी गई है।

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विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में आठ सीटें अनुसूचित जाति की हैं

जिन 24 क्षेत्रों में चुनाव होने हैं, उनमें आठ सीटें-अंबाह, गोहद, डबरा, भांडेर, करैरा, अशोक नगर, सांची व सांवेर अनुसूचित जाति की और एक सीट अनूपपुर अनुसूचित जनजाति कोटे में आरक्षित है। उपचुनाव वाली सीटों के हर बूथ पर भाजपा ने अभी से जिम्मेदारी तय कर दी है।

भाजपा के दिग्गज अनुसूचित जाति के नेताओं को मिली जिम्मेदारी

भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष सूरज कैरो की सक्रियता बढ़ गई है। जल्द ही केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत, पूर्व मंत्री सत्यनारायण जटिया, वीरेंद्र खटिक और गौरीशंकर शेजवार जैसे अनुसूचित जाति के शीर्ष नेताओं के दौरे भी होने हैं। चूंकि 2018 के चुनाव में भाजपा इन सभी सीटों पर चुनाव हार चुकी है, इसलिए जमीनी तैयारी में अब कोई कोर-कसर नहीं रखना चाहती है।

भाजपा की नजर बसपा के प्रभावी अजा नेताओं पर है

कमोबेश भाजपा के उम्मीदवार वही चेहरे बनने हैं जो पिछली बार कांग्रेस से जीते थे, इसलिए कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के साथ ही पार्टी संतुलन बनाने पर भी जोर दे रही है। राज्यसभा चुनाव में अनुसूचित समाज के कांग्रेस उम्मीदवार फूल सिंह बरैया को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मुकाबले प्राथमिकता न मिलने के मुद्दे को भी हवा देकर भाजपा ने कांग्रेस को अजा विरोधी साबित करने का अभियान छेड़ दिया है। भाजपा की नजर बसपा के प्रभावी अजा नेताओं पर भी है।

शेजवार को मनाकर शिवराज ने बनाया समन्वय

भाजपा की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अगर कहीं भी पार्टी के अंदर से विरोध की सुगबुगाहट हुई तो समन्वय बनाने के लिए खुद शिवराज चौहान पहल कर रहे हैं। रायसेन जिले की सांची सीट पर 2018 में पूर्व मंत्री डॉ़ प्रभुराम चौधरी चुनाव जीते थे। कमल नाथ सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर वह भाजपा में शामिल हुए तो उनके खिलाफ उम्मीदवार रहे मुदित शेजवार की भृकुटी तन गई। बात तूल पकड़ती इससे पहले ही शिवराज सिंह चौहान संगठन के लाव-लश्कर के साथ मुदित केपिता नेता प्रतिपक्ष रह चुके गौरीशंकर शेजवार और मुदित से मिलने सांची पहंुच गए। उन्होंने दोनों के बीच कड़वाहट दूर की।

भाजपा के लिए अजा सीटों पर बड़ी चुनौती

अजा बहुल सीटों पर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। इन सीटों पर 2018 में कांग्रेस के उम्मीदवार भारी मतों के अंतर से जीते थे। डबरा सीट पर पूर्व मंत्री इमरती देवी ने 57 हजार 446 मतों की बढ़त हासिल की, जबकि गोहद में रणवीर जाटव ने 23 हजार 989, भांडेर में रक्षा सरोनिया ने 39 हजार 896, करैरा सीट जसवंत जाटव ने 14 हजार 824 मतों के अंतर से जीती। शिवराज सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट 2018 में कांग्रेस के टिकट पर सांवेर से महज 2945 मतों से जीत सके थे। भाजपा इन समीकरणों पर ध्यान रखते हुए अपनी बुनियाद मजबूत करने में जुट गई है।

भाजपा समरस समाज में भरोसा करती है और ऐसी नीति बनाती है, जिससे एकात्म समाज की परिकल्पना साकार हो। वंचित वर्ग के विकास के लिए अजा, अजजा और पिछड़ों के उत्थान पर विशेष जोर रहता है-दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, मप्र भाजपा।


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