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साल 2018-19 में भाजपा को चुनावी बांड से मिला 1,450 करोड़ का चंदा, सिर्फ तीन पार्टियों ने की चंदे की घोषणा

वर्ष 2018-19 में भाजपा को चुनावी बांड के जरिये 1450.89 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। हालांकि छह में से सिर्फ तीन राष्ट्रीय पार्टियों ने ही चुनावी बांड से मिले चंदे की घोषणा की है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 07:24 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 07:24 AM (IST)
साल 2018-19 में भाजपा को चुनावी बांड से मिला 1,450 करोड़ का चंदा, सिर्फ तीन पार्टियों ने की चंदे की घोषणा
साल 2018-19 में भाजपा को चुनावी बांड से मिला 1,450 करोड़ का चंदा, सिर्फ तीन पार्टियों ने की चंदे की घोषणा

नई दिल्ली, प्रेट्र। वर्ष 2018-19 में भाजपा को चुनावी बांड के जरिये 1,450.89 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। हालांकि, छह में से सिर्फ तीन राष्ट्रीय पार्टियों ने ही वर्ष के दौरान चुनावी बांड से मिले चंदे की घोषणा की है। चुनाव की निगरानी करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने यह दावा किया है।

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एडीआर की तरफ से बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 'वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान छह राष्ट्रीय पार्टियों में से सिर्फ भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने ही चुनावी बांड से मिले चंदे का ब्योरा सार्वजनिक किया है। तीनों दलों को चुनावी बांड से कुल 1,931.43 करोड़ रुपये का चंदा मिला है।' इसके अनुसार, 'भाजपा को चुनावी बांड के जरिये 1,450.89, कांग्रेस को 383.26 व तृणमूल कांग्रेस को 97.28 करोड़ रुपये का चंदा मिला।'

टीएमसी, माकपा और बसपा ने की आय की घोषणा

रिपोर्ट के अनुसार, 'तृणमूल कांग्रेस ने कुल 192.65, माकपा ने कुल 100.96 और बसपा ने 69.79 करोड़ रुपये की आय की घोषणा की है।' वर्ष 2017-18 में भाजपा की आमदनी 1,027.34 करोड़ थी, जो बढ़कर 2,410.08 हो चुकी है। इसी प्रकार कांग्रेस की आय 199.15 से बढ़कर 918.03 करोड़ हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता पक्ष यानी भाजपा ने चुनाव या सामान्य प्रचार पर 792.39 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 308.96 करोड़ रुपये खर्च किए।

क्या है चुनावी बॉन्‍ड

वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों को चुनाव के लिए मिलने वाले चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए  चुनावी बांड की शुरुआत की थी। इसका इस्तेमाल राजनीतिक दलों को संस्थाओं, भारतीय व विदेशी कंपनियों और लोगों द्वारा चंदा देने के लिए किया जाता है। बॉन्‍ड पर चंदा देने वाले का नाम नहीं होता है। बैंक को छोड़कर किसी को पता नहीं होता किसने चंदा दिया। इसे लेकर पिछले संसद सत्र (शीतकालीन सत्र) में काफी हंगामा हुआ था। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने घोटाले का स्रोत बताया था। 


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