राम मंदिर मामलाः सुब्रमण्यम स्वामी ने फिर याद दिलाई केंद्र के हलफनामे की बात
राम जन्मभूमि विवाद पर भाजपा सांसद ने केंद्र के 1994 के हलफनामे का हवाला देते हुए हिंदुओं की इच्छा को ध्यान में रखने की बात कही है।
नई दिल्ली, एजेंसी। अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी का कहना है कि 1994 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि अगर नीचे मंदिर पाया जाता है तो हिंदुओं की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए।
स्वामी ने कहा, 'साल 1994 में जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान मुझे भी कैबिनेट दर्जा मिला हुआ था, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से (अयोध्या विवाद के) हल के बारे में पूछा था, तब प्रधानमंत्री ने एक बयान दाखिल कर विभिन्न हल बताए थे, जिनमें से एक था, 'अगर मंदिर के अवशेष पाए जाते हैं, तो हमें हिन्दुओं की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए।'
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक से जुड़े मामले में चार जनवरी से सुनवाई शुरू होगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की पीठ सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि इसी दिन पीठ मामले में आगे की सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय पीठ के गठन का फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट की यह तीन सदस्यीय पीठ इसी मामले में 2010 में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली 14 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ की भूमि को तीन पक्षकारों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का आदेश सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर, 2018 को मामले की सुनवाई जनवरी, 2019 के पहले हफ्ते में तय की थी।