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BJP Chief Whip in Rajya Sabha: राज्यसभा में भाजपा के चीफ व्हिप नियुक्त हुए सांसद शिव प्रताप शुक्ल

राज्यसभा में चीफ व्हिप के तौर पर नियुक्त किए गए भाजपा सांसद शिव प्रताप शुक्ल।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 11:34 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 11:34 AM (IST)
BJP Chief Whip in Rajya Sabha: राज्यसभा में भाजपा के चीफ व्हिप नियुक्त हुए सांसद शिव प्रताप शुक्ल
BJP Chief Whip in Rajya Sabha: राज्यसभा में भाजपा के चीफ व्हिप नियुक्त हुए सांसद शिव प्रताप शुक्ल

नई दिल्ली, एएनआइ। पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री व राज्यसभा सांसद शिवप्रताप शुक्ल  (BJP MP Shiv Pratap Shukla) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्यसभा में चीफ  व्हिप  के तौर पर नियुक्त किया है। भारत में सभी पार्टियों के पास व्हिप जारी करने का अधिकार होता है जो पार्टी सदस्यों के लिए किया जाता है। इसके लिए पार्टी सदन के सदस्यों में से एक वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त करते हैं जिसे 'चीफ व्हिप' कहा जाता है। 

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अहम जिम्मेदारी संभालेंगे शिवप्रताप शुक्ल    

चीफ व्हिप बनाकर भाजपा ने सांसद शिवप्रताप शुक्ल को अहम जिम्मेदारी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें राज्यसभा में जगह दी। इसके बाद कैबिनेट भी लेकर आए और मंत्री बनाया था।

बता दें कि इमरजेंसी के दौरान उन्हें 19 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। विधानसभा में भी वे लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं। लगातार चार बार 1989, 1991, 1993 और 1996 विधानसभा जीतने वाले सांसद शिवप्रताप शुक्ला उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं। 2012 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बने। 1989 में पहली बार विधानसभा में पहुंचे। 

शिवप्रताप शुक्‍ल के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1970 में हुई थी। वह सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। 1981 में पहली बार भाजयुमो के क्षेत्रीय मंत्री बने।

लिखित आदेश होता है व्हिप 

संसद में 'व्हिप' एक लिखित आदेश होता है। यह तीन तरह का होता है। एक लाइन का दो लाइन का और तीन लाइन का।  इनमें से तीन लाइन का व्हिप महत्वपूर्ण होता है। इसका इस्तेमाल सदन में अविश्वास प्रस्ताव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस या वोटिंग में किया जाता है। यदि किसी सदस्य ने इसका उल्लंघन किया तो उसकी सदस्यता खत्म होने का भी प्रावधान है। सदन राजनीतिक दल आमतौर पर अक्सर किसी महत्वपूर्ण मुद्दे को बहस के बाद पास करवाने या इसे स्वीकार करवाने के लिए अपने सदस्यों को व्हिप जारी करते हैं। व्हिप का उल्लंघन दल बदल विरोधी अधिनियम के तहत माना जा सकता है और सदस्यता रद की जा सकती है।


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