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भाजपा सांसद जामयांग ने सरकार से पूछा, लद्दाख के 350 गांवों में कब बजेगी मोबाइल की घंटी

संचार सेवाएं बेहतर बनाने के अधूरे वादों का हवाला देते हुए लदाख के सांसद ने दूरदराज इलाकों में सेटेलाइट फोन सेवा स्थापित करने की आवाज उठाई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 10:51 PM (IST)
भाजपा सांसद जामयांग ने सरकार से पूछा, लद्दाख के 350 गांवों में कब बजेगी मोबाइल की घंटी
भाजपा सांसद जामयांग ने सरकार से पूछा, लद्दाख के 350 गांवों में कब बजेगी मोबाइल की घंटी

राज्य ब्यूरो, जम्मू। लद्दाख के 350 गांवों में मोबाइल सेवा अब तक शुरू नहीं होने पर भाजपा सांसद जामयांग सरिंग नांग्याल ने लोकसभा में अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सवाल किया कि पाकिस्तान और चीन की सीमा से सटे इन गांवों में मोबाइल सेवा शुरू करने का वादा दूरसंचार मंत्रालय कब पूरा करेगा। उन्होंने पूछा कि लद्दाख का डिजिटलाइजेशन कब होगा। मंत्रालय लद्दाख में संचार सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में काम कब शुरू करेगा। यह मुद्दा उठाने पर लोकसभा के स्पीकर ने संचार मंत्री को निर्देश दिए कि उठाए गए मसले जल्द हल किए जाएं।

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लद्दाख के भाजपा सांसद नांग्याल ने बुधवार को संसद में संचार मंत्रालय को घेरते हुए संचार सेवा का मुद्दा जोरशोर से उठाया। संचार सेवाएं बेहतर बनाने के अधूरे वादों का हवाला देते हुए उन्होंने दूरदराज इलाकों में सेटेलाइट फोन सेवा स्थापित करने की आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि लद्दाख में 344 डिजीटल सेटेलाइट फोन टर्मिनल कई महीनों से खराब पड़े हैं।

मानसून सत्र में भी उठाया था मुद्दा

शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए नांग्याल ने याद दिलाया कि उन्होंने जुलाई में भी संसद में यह मुद्दा उठाया गया था। मंत्री को ज्ञापन भी सौंपे गए। इसके बाद आश्वासन दिया गया था कि यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड से लद्दाख में 125 मोबाइल टॉवर लगाए जाएंगे। इनमें से 53 टॉवर लेह व 72 कारगिल में लगने थे। आज तक मंत्रालय की यह घोषणा सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।

बीएसएनएल समेत कोई ऑपरेटर नहीं आया सामने

केंद्र सरकार के हस्तक्षेप करने पर जोर देते हुए सांसद ने कहा कि 350 गांवों में मोबाइल सेवा पहुंचाने के लिए न तो कोई निजी ऑपरेटर और न ही बीएसएनएल सामने आया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा व चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में गांववासियों के साथ चुनौतियों का सामना कर रही सेना और सुरक्षाबलों को संचार सेवाओं की बहुत जरूरत है। इन दुर्गम इलाकों में हिमस्खलन व अन्य आपदाएं आम हैं। इस समय द्रास में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंच गया है। इन हालात में मोबाइल, टेलीफोन सेवा न होना चुनौतियां बढ़ाती है।

पांच साल में सिर्फ 12 लाख का फंड देना मजाक

यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड पर मंत्रालय को घेरते हुए जामयांग ने कहा कि पिछले पांच वर्षो में मोबाइल सेवा के लिए सिर्फ 12 लाख रुपये देना मजाक है। 2016 में 9.14 लाख, वर्ष 2017 में 1.34 लाख और वर्ष 2018 में 1.54 लाख रुपये दिए गए थे।


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