मध्य प्रदेश उपचुनाव में भाजपा 'चंबल एक्सप्रेस वे' को बनाएगी अपना मुद्दा, 16 सीटों पर पड़ेगा सीधा प्रभाव
चंबल क्षेत्र के विकास में चार-चांद लगाने वाले इस प्रोजेक्ट को भाजपा उपचुनाव में भुनाने की तैयारी कर चुकी है। उपचुनाव की घोषणा के पहले इस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन करवा दिया जाएगा।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग की 16 सीटों पर भाजपा 'चंबल एक्सप्रेस वे' को भुनाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम को इस परियोजना के नए नाम 'चंबल प्रोग्रेस वे' की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने को कहा है। इस बात की संभावना भी है कि पुराने मौजूदा छह लेन हाइवे की चौड़ाई बढ़ा दी जाए। 352 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस वे तीन राज्यों- मप्र, राजस्थान व उप्र से गुजरेगा।
चंबल क्षेत्र के विकास में चार-चांद लगाने वाले इस प्रोजेक्ट को भाजपा उपचुनाव में भुनाने की तैयारी कर चुकी है। उपचुनाव की घोषणा के पहले इस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन करवा दिया जाएगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रोजेक्ट के लिए सर्वेक्षण का काम शुरू करवाया जा रहा है। अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर इस प्रोजेक्ट को लेने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण कम से कम हो, इस बात का ध्यान रखा जाए। प्रोजेक्ट की डीपीआर पर तेजी से काम चल रहा है। जून अंत तक डीपीआर और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने की कवायद चल रही है।
गडकरी की सहमति ली
बताया जाता है कि परियोजना के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की सहमति ले ली है। भूमिपूजन कार्यक्रम में गडकरी भी शामिल होंगे। कांग्रेस सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इस महापथ के दोनों ओर खास-खास जगह पर 'इंडस्टि्रयल हब' भी विकसित किए जाने की योजना है।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी इस प्रोजेक्ट में विशेष दिलचस्पी बताई गई है। सिंधिया ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को इस मुद्दे पर पत्र भी लिखा था। आठ लेन होगा एक्सप्रेस-वे तीन राज्यों मप्र, उप्र और राजस्थान से गुजरने वाले इस 'एक्सप्रेस-वे' को केंद्र सरकार के भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बनाया जाएगा। मप्र के मुरैना से राजस्थान के कोटा तक 352 किलोमीटर लंबा आठ लेन 'एक्सप्रेस वे' बनेगा। इसमें 70 फीसद राशि केंद्र सरकार देगी, भूमि अधिग्रहण की औपचारिकताएं पूरी करने की जवाबदारी राज्य सरकार को सौंपी गई है।