भाजपा नेता बोले- भारत में सीएए के महत्व को दर्शाता है अफगान संकट
एन रामचंद्र राव ने कहा कि भारत के लोगों को अब एहसास होगा कि सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से उन सभी हिंदुओं और सिखों को मदद मिलेगी जिन्हें अफगानिस्तान से भगाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार अफगानिस्तान में फंसे सभी भारतीयों को निकालना सुनिश्चित करेगी।
हैदराबाद, एएनआइ। भारतीय जनता पार्टी के नेता एन रामचंद्र राव ने सोमवार को कहा कि अफगानिस्तान संकट ने देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के महत्व को प्रदर्शित किया है। समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए, राव ने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों के धार्मिक उत्पीड़न ने उन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा, 'उन्हें अपना घर छोड़ना होगा। भारत नहीं तो वे कहां जाएंगे? अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए, हम देख सकते हैं कि सीएए हमारे देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है।'
उन्होंने आगे कहा कि भारत के लोगों को अब एहसास होगा कि सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से उन सभी हिंदुओं और सिखों को मदद मिलेगी, जिन्हें अफगानिस्तान से भगाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार अफगानिस्तान में फंसे सभी भारतीयों को निकालना सुनिश्चित करेगी।
सीएए पर राव का बयान केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के रविवार को किए गए ट्वीट के बाद आया। एक समाचार लेख को साझा करते हुए, सिंह ने ट्वीट किया था, 'हमारे अस्थिर पड़ोस में हालिया घटनाक्रम और जिस तरह से सिख और हिंदू एक कष्टदायक समय से गुजर रहे हैं, ठीक यही कारण है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करना आवश्यक था।'
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद, दुनिया के तमाम देश युद्धग्रस्त राष्ट्र से अपने नागरिकों को निकालने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। बता दें कि सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की दिशा देता है।
अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, इन तीन देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक भारत पहुंचे इन समुदायों के लोगों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।
विपक्षी दलों और कई समूहों ने सीएए के कार्यान्वयन का विरोध किया है और कहा है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के साथ मिलकर कानून भारत में अल्पसंख्यकों को लक्षित करता है।