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एनआरसी के मुद्दे पर पूर्वोत्तर के लोगों को ब्लैकमेल कर रही भाजपा: रिपुन बोरा

कांग्रेस का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी एनआरसी के मुद्दे पर पूर्वोततर के लोगों को ब्‍लैकमेल करने की कोशिश कर रही है। अमित शाह ने कहा था कि असम को दूसरा कश्मीर नहीं बनने दिया जाएगा।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 01:42 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 01:42 PM (IST)
एनआरसी के मुद्दे पर पूर्वोत्तर के लोगों को ब्लैकमेल कर रही भाजपा: रिपुन बोरा
एनआरसी के मुद्दे पर पूर्वोत्तर के लोगों को ब्लैकमेल कर रही भाजपा: रिपुन बोरा

गुवाहाटी, एएनआइ। पूर्वोत्‍तर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) को लेकर राजनीति गर्म है। कांग्रेस का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी एनआरसी के मुद्दे पर पूर्वोत्तर के लोगों को ब्‍लैकमेल करने की कोशिश कर रही है। असम में रविवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि असम को दूसरा कश्मीर नहीं बनने दिया जाएगा, इसलिए सरकार एनआरसी लेकर आई है।

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कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने एनआरसी पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर कहा, 'वो(भाजपा) असम तथा पूर्वोत्तर के लोगों को ब्लैकमेल कर रहे हैं। वह उन्हें धमका रहे हैं। कह रहे हैं- आपको भाजपा को लोकसभा चुनाव 2019 में सत्ता में वापस लाना ही होगा। तब भाजपा नागरिकता बिल लेकर आएगी।' उन्‍होंने बताया कि कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी एक बड़ी रैली के लिए 26 फरवरी को असम आ रहे हैं। इस रैली में यूपीए के सहयोगी दलों के नेता और शामिल होने जा रहे हैं।

असम में रविवार को चुनाव का बिगुल फूंकते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि राज्य को दूसरा कश्मीर नहीं बनने दिया जाएगा। एक-एक घुसपैठिये को देश से बाहर निकाला जाएगा। पुलवामा आतंकी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 40 जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा, क्योंकि केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं है। हम सुरक्षा के किसी भी मुद्दे से समझौता नहीं करेंगे।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि असम को दूसरा कश्मीर नहीं बनने दिया जाएगा, इसलिए सरकार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लेकर आई है। एनआरसी की मदद से एक-एक घुसपैठिये को वापस भेजा जाएगा। नागरिकता (संशोधन) बिल पर उन्होंने कहा कि विरोधी दलों ने इसको लेकर गलत प्रचार किया। ऐसा बताया गया कि यह बिल सिर्फ असम और पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए ही है। जबकि, यह पूरे देश के लिए है। उन्होंने यह भी दावा किया कि चंद लोगों ने ही विरोध किया और वह भी नागरिकता बिल के मुद्दे पर नहीं, बल्कि मौके फायदा उठाने के लिए।


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