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Manipur Political Crisis : भाजपा ने हासिल किया विश्‍वास मत, कांग्रेस विधायकों ने सदन में फेंकी कुर्सियां

मणिपुर में भाजपा की सरकार ने विश्‍वास मत हासिल कर लिया है। हालांकि सदन की मर्यादा तब तार तार हो गई जब नाराज कांग्रेस विधायकों ने वेल में कुर्सियां फेंकीं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:59 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 04:52 AM (IST)
Manipur Political Crisis : भाजपा ने हासिल किया विश्‍वास मत, कांग्रेस विधायकों ने सदन में फेंकी कुर्सियां
Manipur Political Crisis : भाजपा ने हासिल किया विश्‍वास मत, कांग्रेस विधायकों ने सदन में फेंकी कुर्सियां

इम्‍फाल, एजेंसियां। मणिपुर में पिछले कई दिनों से जारी राजनीतिक संकट का पटाक्षेप हो गया है। भाजपा के नेतृत्व वाली एन बीरेन सिंह सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। राज्य सरकार ने 28-16 के अंतर से विश्वास मत हासिल किया। विधानसभा के एकदिवसीय सत्र में मैराथन बहस के बाद मुख्यमंत्री ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया। मुख्यमंत्री की सधी सियासी चाल के चलते कांग्रेस के आठ विधायक विधानसभा की कार्यवाही में शामिल ही नहीं हुए। इसके बाद सरकार का विश्वास मत पाना महज एक औपचारिकता रह गई थी। 

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विश्वास मत के बाद सदन की मर्यादा उस वक्‍त तार तार हो गई जब कांग्रेस विधायकों ने विरोध जताया और सदन में कुर्सियां उछालीं। 60 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 24 विधायक हैं। तीन विधायकों के इस्तीफे और चार विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किए जाने के बाद विधानसभा में अब 53 विधायक रह गए हैं। भाजपा और कांग्रेस ने अपने विधायकों को व्हिप जारी करते हुए विधानसभा में मौजूद रहने और पार्टी लाइन के मुताबिक वोट देने के लिए कहा था।

मणिपुर के पूर्व सीएम और विपक्ष के नेता ओ इबोबी सिंह ने सरकार के विश्वास मत हासिल करने को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मतविभाजन की अनुमति नहीं दिया जाना अनुचित था। उन्होंने कहा कि जबसे यह सरकार सत्ता में आई है, विधानसभा की कार्यवाही के सीधा प्रसारण की अनुमति दी गई है। लेकिन, आज ऐसा नहीं किया गया। पत्रकारों को भी कैमरा और फोन के साथ आने की इजाजत नहीं दी गई। कांग्रेस के अवि‍श्‍वास प्रस्‍ताव पर सोमवार को एक दिन के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। 

उल्‍लेखनीय है कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के सामने 17 जून को राजनीतिक संकट उपस्थित हो गया था क्योंकि छह विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था। वहीं तीन भाजपा विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि भाजपा के शीर्ष नेताओं और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा के हस्तक्षेप के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायक बाद में वापस आ गए थे। इसके बाद कांग्रेस के विधायक केशम मेघचंद्र सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। 


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