निशिकांत दुबे ने की थरूर को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग, भाजपा सांसद राठौर ने भी जताई आपत्ति
थरूर और भाजपा सांसद व समिति सदस्य निशिकांत दुबे के बीच जंग छिड़ी है और मामला लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कोर्ट में है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फेसबुक विवाद अब संसदीय समिति के विवाद के रूप में बदलने लगा है और यह आशंका भी गहरा गई है कि सूचना तकनीक से जुड़े संसदीय समिति के अध्यक्ष शशि थरूर क्या फेसबुक को पूछताछ के लिए बुला पाएंगे। एक तरफ जहां समिति के कामकाज और तौर तरीके को लेकर थरूर और भाजपा सांसद व समिति सदस्य निशिकांत दुबे के बीच जंग छिड़ी है और मामला लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कोर्ट में है।
वहीं, गुरुवार को एक अन्य भाजपा सांसद व समिति सदस्य राज्यवर्द्धन राठौर भी इसमें कूद पड़े हैं। उन्होंने भी थरूर के कामकाज के तरीके पर सवाल खड़ा किया। इन सभी विवादों के बीच रोचक तथ्य यह है कि समिति का कार्यकाल 12 सितंबर को ही खत्म हो रहा है और फेसबुक को पूछताछ के लिए समिति में बुलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति भी लेनी पड़ेगी। वहीं बिरला को ऐसे किसी मामले पर विचार करने से पहले सामने पड़े विशेषाधिकार हनन नोटिस और दूसरे पत्रों पर विचार करना पड़ सकता है।
पहले ही छिड़ चुकी थी जुबानी जंग
तीन दिन पहले वाल स्ट्रीट जर्नल में छपे आर्टिकल के बाद फेसबुक विवाद छिड़ा था जब राहुल गांधी ने इसे ट्वीट करते हुए यह आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के हेट स्पीच को लेकर फेसबुक नरम है। तत्काल थरूर ने फेसबुक को चेतावनी भी दे दी कि उसे संसदीय समिति में पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। यूं तो थरूर और समिति के ही सदस्य निशिकांत दुबे के बीच जुबानी जंग पहले ही छिड़ चुकी थी। एक दूसरे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया था। गुरुवार को दुबे ने चार पेज लंबा पत्र लिखते हुए लोकसभा अध्यक्ष के सामने सीधा आरोप लगाया कि थरूर अपनी पार्टी के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए शुरूआत से ही सभी प्रावधानों और गरिमा का उल्लंघन करते रहे हैं।
निशिकांत दुबे ने थरूर पर कसा तंज
दुबे ने चार पांच उदाहरण पेश किया और गिनाया कि चीन के 59 एप का मामले पर समिति में चर्चा की जगह थरूर ने सोशल मीडिया को चुना को सरकार की आलोचना की। जबकि वह जानते हैं कि इसमें देश की सुरक्षा का मामला शामिल है। इसी तरह कश्मीर में 4 जी के मामला कोर्ट में होने के बावजूद थरूर को सोशल मीडिया पर जाना ज्यादा भाया। यही नहीं समिति की बैठक नहीं बुलाए जाने के एक मामले में तो उन्होंने स्पीकर पर भी सवाल खड़ा कर दिया। दुबे ने तंज किया- 'विदेशी लहजे में स्पेंसेरियन अंग्रेजी बोलने से किसी को भी अपनी मंशा की पूर्ति क लिए संसदीय प्रावधानों को नजरअंदाज करने की अनुमति नहीं मिल जाती है।' दुबे ने आग्रह किया थरूर को समिति के अध्यक्ष पद से हटाया जाए।
वहीं समिति के दूसरे सदस्य राठौर ने बिरला को पत्र लिखकर कहा कि समिति का फैसला एक व्यक्ति अकेला नहीं कर सकता है। किसी को भी बुलाया जा सकता है लेकिन यह फैसला समिति में चर्चा के बाद होगा न कि अकेले थरूर करेंगे।