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CAA: बांग्लादेश ने कहा- भारत में अवैध तरीके से रह रहे अपने नागरिकों को वापस लेने को तैयार

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के सलाहकार गौहर रिजवी ने कहा कि विश्व में ऐसे कम उदाहरण हैं जहां एक देश के लोगों ने दूसरे देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया हो।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 11:39 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 11:39 PM (IST)
CAA: बांग्लादेश ने कहा- भारत में अवैध तरीके से रह रहे अपने नागरिकों को वापस लेने को तैयार
CAA: बांग्लादेश ने कहा- भारत में अवैध तरीके से रह रहे अपने नागरिकों को वापस लेने को तैयार

जागरण संवाददाता, कोलकाता। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश में चल रहे विरोध-प्रदर्शन के बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के सलाहकार (अंतरराष्ट्रीय मामले) गौहर रिजवी ने कहा कि भारत अगर सुबूत पेश करेगा तो बांग्लादेश वहां गैर-कानूनी तरीके से रह रहे अपने किसी भी नागरिक को वापस ले लेगा।

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अवैध तरीके से रह रहे अपने नागरिकों को लेंगे वापस: बांग्लादेश के विदेश मंत्री मोमेन

बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने भी पिछले रविवार को कहा था कि उनके देश ने भारत को अपने उन नागरिकों की सूची देने का अनुरोध किया है, जो उनके यहां गैर-कानूनी तरीके से रह रहे हैं। बांग्लादेश उन्हें वापस लौटने की अनुमति देगा।

बांग्लादेश में हिंदू, मुस्लिम शांतिपूर्ण तरीके से साथ मिलकर रहते हैं

सेना के पूर्वी कमान की ओर से आयोजित किए गए विजय दिवस समारोह में शिरकत करने कोलकाता आए रिजवी ने कहा-'मानक पद्धति यह है कि भारत को इस बाबत सुबूत पेश करना होगा। इसे मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। बांग्लादेश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध शांतिपूर्ण तरीके से साथ मिलकर रहते हैं। बांग्लादेश ने बहुलवादी, धर्मनिरेपक्ष और लोकतांत्रिक समाज के तौर पर नजीर पेश की है। हम अपनी प्रतिबद्धता से कभी नहीं भटके।'

भारत हमेशा हमारे साथ रहा है और भविष्य में भी रहेगा- रिजवी

एनआरसी पर रिजवी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें इस मसले पर चिंता नहीं करने को कहा है। भारत के साथ हमारी दोस्ती पिछले 50 वर्षों से है। भारत हमेशा हमारे साथ रहा है और भविष्य में भी रहेगा।

रिजवी ने कहा- 1971 में भारत के सहयोग के बिना बांग्लादेश को मुक्ति नहीं मिलती

रिजवी ने कहा कि 1971 में भारत के सहयोग के बिना बांग्लादेश को मुक्ति नहीं मिली होती। दुनिया में ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं, जहां एक देश के लोगों ने दूसरे देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया हो।


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