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आयुष मंत्री श्रीपद नाइक बोले, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मानकों पर खरा है आयुर्वेद

आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि आयुष मंत्रालय विश्र्व स्तर पर आयुर्वेद और चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 09:13 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 09:15 PM (IST)
आयुष मंत्री श्रीपद नाइक बोले, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मानकों पर खरा है आयुर्वेद
आयुष मंत्री श्रीपद नाइक बोले, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मानकों पर खरा है आयुर्वेद

नीलू रंजन, नई दिल्ली। भारत अब आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मानकों पर खरी आयुर्वेदिक दवाओं को वैश्विक पटल पर बड़े पैमाने पर उतारने की तैयारी में जुट गया है। इसके तहत आयुष मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित समिनार में 61 देशों के राजनयिकों ने हिस्सा लिया। इसके पहले आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि डायबटीज के इलाज के लिए CSIR द्वारा विकसित आयुर्वेदिक दवा BGR-34 को सभी क्लिनिकल ट्रायल में सफल पाया गया है।

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आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'वैश्रि्वक स्वास्थ्य में आयुर्वेद विज्ञान की संभावना' पर आयोजित सेमिनार का उद्देश्य सभी राजनयिकों को आयुर्वेद में हुए उन्नत अनुसंधान और हाल की प्रगति के बारे में जानकारी देना था। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे दुनिया भर में आयुर्वेद के प्रचार और मान्यता दिलाने में सहायता मिलेगी।

उत्पादों के गुणवत्ता मानकों को और किया जाएगा मजबूत

इस अवसर पर श्रीपद नाइक ने कहा कि आयुष मंत्रालय विश्र्व स्तर पर आयुर्वेद और चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए आयुष सेवाओं के साथ-साथ उत्पादों के गुणवत्ता मानकों को मजबूत मनाने के लिए कई पहल की गई है। इस अवसर पर राजदूतों और उच्चायुक्तों को भारत में आयुर्वेद प्रणाली के मजबूत बुनियादी ढांचे और विनियामक प्रावधानों के बारे में जानकारी दी गई।

वहीं, पिछले हफ्ते लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में श्रीपद नाइक ने बताया था कि CSIR द्वारा विकसित डायबटीज की दवा BGR-34 को आधुनिक चिकित्सा मानकों के तहत किये गए क्लिनिकल ट्रायल में प्रभावी पाया गया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में बनारस हिन्दू विश्र्वविद्यालय में हुए स्वतंत्र परीक्षणों में भी इसे प्रभावी पाया गया।

नाइक ने कहा कि CSIR की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं सीमैप और एनबीआरआइ ने आयुर्वेद के प्राचीन फार्मूलों पर शोध करने के बाद इसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मानकों पर विकसित किया था। उनके अनुसार बीएचयू ने टाइप-2 मधुमेह के नये मरीजों पर बीजीआर-34 दवा का परीक्षण किया था, जिसमें इसकी व्यापक प्रभावकारिता देखी गई है। उन्होंने कहा कि इसके क्लिनिकल ट्रायल के सभी ब्यौरे क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री में दर्ज हैं।


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