Ayodhya dispute case: हाईकोर्ट में साबित नहीं हो पाया था कि किसने बनवाई थी मस्जिद
औरंगजेब ने अयोध्या काशी मथुरा मायापुरी (हरिद्वार) में मुख्य मंदिरों को तोड़ा था। यही दलीलें राम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति की ओर से हाईकोर्ट में रखी गईं थीं।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। जिस राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद के विवाद पर सारे देश की निगाहें हैं उसे किसने बनवाया था यह बात हाईकोर्ट में साफ नहीं हो पाई थी। निर्माण बाबर ने कराया था या औरंगजेब ने यह साबित नहीं हुआ था। एक मत बाबर द्वारा या बाबर के निर्देश पर उसके कमांडर मीर बाकी द्वारा मस्जिद बनवाए जाने की बात कहता है और दूसरा औरंगजेब के कार्यकाल में मस्जिद बनने की संभावना जताता है। फैसला देने वाले हाईकोर्ट के तीन जज भी इस मुद्दे पर एक मत नहीं थे। विवादित मस्जिद का निर्माण और निर्माण काल बाबर और औरंगजेब के बीच उलझा रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस बिन्दु पर क्या फैसला देता है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा
विवादित ढांचे यानी बाबरी मस्जिद का निर्माण कब हुआ और किसने कराया। साथ ही क्या उस इमारत को मस्जिद माना जाएगा। इसे लेकर हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के मुकदमे में एक बिन्दु तय किया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड के मुकदमें में पहला सवाल ही यही था कि जिस इमारत को मस्जिद बताते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है, क्या वह मस्जिद थी। अगर वह इमारत मस्जिद थी तो उसे किसने बनवाया था।
सुन्नी वक्फ बोर्ड साबित नहीं कर पाया कि इमारत बाबर ने बनवाई थी
क्या उसका निर्माण बाबर ने कराया था जैसा कि याचिकाकर्ता सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपने मुकदमें में दावा किया है या फिर इसका निर्माण मीर बाकी ने कराया था जैसा कि धर्मदास (प्रतिवादी नंबर 13), ने कहा है। इस सवाल के जवाब में जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने अपने फैसले में यह तो माना कि विवादित इमारत मस्जिद थी, लेकिन साथ ही कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड यह साबित नहीं कर पाया कि इमारत बाबर ने बनवाई थी। और न ही दूसरे पक्षकार ये साबित कर पाये कि इसे मीर बाकी ने बनवाया था।
यह कहना मुश्किल है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण कब हुआ और किसने कराया- जस्टिस अग्रवाल
जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि इसलिए निश्चित तौर पर यह कहना मुश्किल है कि कब इसका निर्माण हुआ और किसके द्वारा हुआ क्योंकि इस बारे में कोई भी दलीलें और सबूत नहीं रखे गए। हालांकि अनुमान का सिद्धांत लागू करते हुए उनका मानना है कि विवादित इमारत का निर्माण हो सकता है कि औरंगजेब के काल में 1659 से 1707 एडी के बीच हुआ हो।
मीर बाकी ने पुराना हिन्दू मंदिर तोड़कर उस जगह मस्जिद का निर्माण कराया था- जस्टिस धर्मवीर
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने इस सवाल के जवाब में कहा था कि राजस्व रिकार्ड, अन्य दस्तावेजों, विशेषज्ञों की राय और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों, ऐतिहासिक तथ्यों के पहलू से देखा जाए तो पता चलता है कि बाबर के कमांडर मीर बाकी ने पुराना हिन्दू मंदिर तोड़कर उस जगह मस्जिद का निर्माण कराया था।
विवादित इमारत में 1934 तक मुसलमानों ने नियमित नमाज की- जस्टिस एसयू खान
जस्टिस एसयू खान ने इसके जवाब में कहा था कि यह साबित होता है कि विवादित इमारत का निर्माण बाबर या उसके निर्देश पर मस्जिद के तौर पर हुआ था। इसे वास्तव में मीर बाकी या किसी और ने बनवाया इसका महत्व नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस स्थिति में बस यह कहा जा सकता है कि 1934 तक मुसलमानों ने वहां नियमित नमाज की और 1934 से लेकर 22 दिसंबर 1949 तक विवादित स्थल पर सिर्फ शुक्रवार को नमाज की गई। इमारत के लगातार प्रयोग और कब्जे के लिहाज से वहां शुक्रवार की नमाज होना भी पर्याप्त है।
बाबर ने मस्जिद का निर्माण नहीं कराया था- राम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति
इस मुकदमें में सुनवाई के दौरान विवादित इमारत के बाबर द्वारा या बाबर के निर्देश पर उसके कमांडर मीर बाकी द्वारा 1528 में बनवाए जाने पर राम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति की ओर से सवाल उठाया गया था। समिति के वकील पीएन मिश्रा और रंजना अग्रिहोत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी दी गई दलील में कहा गया था कि बाबर ने मस्जिद का निर्माण नहीं कराया था। न ही मीर बाकी ने निर्माण कराया था। मीर बाकी नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं था। मीर बाकी एक काल्पनिक नाम है।
औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था- विदेशी यात्री निकोलो मनूची
मिश्रा ने विदेशी यात्री निकोलो मनूची जिसे उन्होंने औरंगजेब का कमांडर भी कहा था की किताब हिस्टोरिया डिमोगर (मुगल काल) का हवाला देते हुए कहा कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। मनूची ने किताब में कहा गया है कि औरंगजेब ने अयोध्या, काशी, मथुरा, मायापुरी (हरिद्वार) में मुख्य मंदिरों को तोड़ा था। यही दलीलें उनकी ओर से हाईकोर्ट में भी रखी गईं थीं।