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Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट में राम चबूतरा को मुस्लिम पक्ष ने माना भगवान राम का जन्मस्थान

जिलानी ने कहा कि रिकार्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है जिसमें राम के जन्म की निश्चित जगह बताई गई हो। सारी दलीलें आस्था और विश्वास पर आधारित हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 09:38 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 07:06 AM (IST)
Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट में राम चबूतरा को मुस्लिम पक्ष ने माना भगवान राम का जन्मस्थान
Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट में राम चबूतरा को मुस्लिम पक्ष ने माना भगवान राम का जन्मस्थान

माला दीक्षित नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि पर मस्जिद होने का दावा कर पूरी जमीन पर मालिकाना हक मांग रहे मुस्लिम पक्ष ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में माना कि अयोध्या विवादित स्थल पर बना राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है। कोर्ट की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, हां वह स्वीकार करते हैं कि राम चबूतरा राम जन्मस्थान है क्योंकि फैजाबाद की जिला अदालत इस बारे में फैसला दे चुकी है। ऐसे में अब उनके पास इससे अलग जाने का विकल्प नहीं है।

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उन्होंने कहा कि 1886 में दिये गए फैसले में अदालत ने कहा था कि राम चबूतरा हिन्दुओं के कब्जे में है और वे उसे राम जन्मस्थान मानते हुए वहां पूजा करते हैं। हालांकि अदालत ने हिन्दुओं को वहां मालिकाना हक नहीं दिया था। जिलानी ने कहा लेकिन अंदर के हिस्से में केन्द्रीय गुंबद के नीचे हिन्दुओं के पूजा करने का कोई सबूत नहीं है। हिन्दू बाहर राम चबूतरे पर पूजा करते थे।

राम चबूतरे को जन्मस्थान मानने के बारे में सीधा सवाल पूछने के अलावा कोर्ट ने विवादित स्थल पर बाबर द्वारा बनवाई गई मस्जिद होने का दावा कर रहे मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी से उनकी ही दलीलों का काट करते हुए कई सवाल पूछे। बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।

मंगलवार को कोर्ट ने दो बार जिलानी से राम चबूतरा को जन्मस्थान स्वीकार करने के बारे में सवाल पूछा। कोर्ट ने कहा कि आप यह मानते हैं कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ था? जिलानी ने कहा हां। कोर्ट ने कहा क्या आप यह भी स्वीकार करते हैं कि राम चबूतरा जन्मस्थान है। जिलानी ने फिर स्वीकार करते हुए निचली अदालत के फैसले का हवाला दिया। कोर्ट ने यह भी पूछा कि आपने इस फैसले के खिलाफ अपील नहीं दाखिल की तो जिलानी ने कहा कि उन्होंने इस अपील में पूरी जमीन पर दावा किया है।

आइने अकबरी में वहां मस्जिद होने का जिक्र नहीं तो क्या मस्जिद नहीं थी

जब जिलानी ने आइने अकबरी को भारत का ज्ञानकोश बताते हुए कहा कि इसमें हर महत्वपूर्ण चीज का जिक्र है यहां तक कि बनारस में मंदिर तोड़ने का भी जिक्र है, लेकिन इसमें अयोध्या में जन्मस्थान या मंदिर होने का जिक्र नहीं है तो जस्टिस एसए बोबडे ने सवाल किया कि क्या इसमें वहां मस्जिद होने का जिक्र है। जिलानी ने कहा नहीं। अयोध्या में बहुत सी मस्जिद थीं इसमें सिर्फ महत्वपूर्ण चीजों का जिक्र है।

जस्टिस बोबडे ने कहा मीर बाकी बाबर का कमांडर था उसके द्वारा बनवाई गई मस्जिद महत्वपूर्ण नहीं थी। उन्होंने आगे कहा क्या इसका मतलब यह नहीं निकल सकता कि वहां मस्जिद थी ही नहीं। जिलानी ने कहा कि हिन्दू पक्ष ने अपने मुकदमें में स्वयं कहा है कि बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने वहां मस्जिद बनवाई थी। बोबडे ने कहा कि वे गलत भी हो सकते हैं। तभी जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा उन्होंने गैजेटियर के आधार पर कहा है कि वहां मंदिर तोड़ कर बाबर ने मस्जिद बनवाई थी।

स्कंद पुराण तो आइने अकबरी से पुराना है उसमें तो बताया गया है जन्मस्थान

जब जिलानी ने आइने अकबरी में जन्मस्थान का जिक्र न होने की दलील दी तो जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि स्कंद पुराण तो उससे पुराना है। उसमें तो जन्मस्थान की निश्चित जगह बताई गई है। जिलानी ने कहा कि स्कंद पुराण 1800 सदी का है तब जस्टिस भूषण ने कहा कि गवाह के बयान हैं कि स्कंद पुराण छठी शताब्दी में लिखा गया।

वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस में नहीं दी है जन्मस्थान की तय जगह

जिलानी ने कहा कि रिकार्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है जिसमें राम के जन्म की निश्चित जगह बताई गई हो। सारी दलीलें आस्था और विश्वास पर आधारित हैं। और इसी आधार पर लोग केन्द्रीय गुंबद के नीचे जन्मस्थान बताने लगे हैं। केन्द्रीय गुंबद के नीचे पूजा करने का कोई साक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में जन्मस्थान की कोई निश्चित जगह नहीं बताई गई है और न ही दोनों ग्रंथों में जन्मभूमि या जन्मस्थान मंदिर का जिक्र है।


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