आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की इजाजत नहीं
शीर्ष विधि अधिकारी वेणुोगोपाल ने अश्विनी उपाध्याय के पत्र के जवाब में कहा कि अवमानना का मुद्दा मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी और उनके प्रधान सलाहकार के बीच का मामला है ।
नई दिल्ली, प्रेट्र। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके प्रधान सलाहकार के खिलाफ न्यायाधीशों पर आरोप लगाने को लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय को मंजूरी नहीं देने के फैसले पर पुनर्विचार से इन्कार कर दिया है। शीर्ष विधि अधिकारी ने उपाध्याय के पत्र के जवाब में कहा कि अवमानना का मुद्दा मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी और उनके प्रधान सलाहकार के बीच का मामला है।
वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि वकील को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के समक्ष या उनके द्वारा दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान स्वयं अवमानना का मुद्दा उठाने से रोका नहीं गया है। जनहित याचिका में दोषी जनप्रतिनिधियों पर आजीवन प्रतिबंध का आग्रह किया गया है।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा, मेरे अनुरोध को मंजूरी प्रदान करने पर करें पुनर्विचार
उपाध्याय ने पांच नवंबर को वेणुगोपाल से अपने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया था और कहा था, मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि इन बिंदुओं को देखें (खासकर इस तथ्य को कि अवमानना का प्रश्न कहीं भी लंबित नहीं है) और कृपया मेरे अनुरोध को मंजूरी प्रदान करने पर पुनर्विचार करें। उन्होंने कहा, यह ऐसे समय में काफी अहम मुद्दा है, जब न्यायपालिका पर हमले किए जा रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय अवमानना का स्वत: संज्ञान लेने के लिए है स्वतंत्र
सात नवंबर को दिए जवाब में वेणुगोपाल ने अपने पहले के उत्तर का हवाला देते हुए कहा, वाईएस जगनमोहन रेड्डी द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में कथित अवमानना का बिंदु है। अदालत की अवमानना अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार उच्चतम न्यायालय अवमानना का स्वत: संज्ञान लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि मामला मुख्य न्यायाधीश से संबंधित है और यह उनके लिए उचित नहीं होगा कि वह मंजूरी दें और मामले पर मुख्य न्यायाधीश की व्याख्या में हस्तक्षेप करें।