अटलजी की जुबान पर चढ़ा था ग्वालियर के लड्डू, चाची के मंगोड़े और द्वारिका के पेड़े का स्वाद
पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का अपनी जन्मभूमि मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बहुत ही गहरा लगाव रहा। वे खाने के बेहद शौकीन थे। ग्वालियर के नया बाजार स्थित की दुकानों पर अकसर आया करते थे।
बलराम सोनी, ग्वालियर। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का अपनी जन्मभूमि मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बहुत ही गहरा लगाव रहा। वे खाने के बेहद शौकीन थे। ग्वालियर के नया बाजार स्थित बहादुरा के लड्डू, दौलतगंज के अग्रसेन पार्क के बाहर फुटपाथ पर दुकान चलाने वाली चाची के मंगोड़े और भिंड के द्वारिका के पेड़े का स्वाद उनकी जुबान पर चढ़ा था। वे अकसर इन दुकानों पर आया करते थे। बाद में ग्वालियर से जब भी कोई स्वजन या कार्यकर्ता अटलजी से मिलने दिल्ली जाता तो अपने साथ इन्हें ले जाना नहीं भूलता। कभी-कभी वे स्वयं भी ग्वालियर से इन्हें मंगवा लिया करते थे।
अटलजी के पसंदीदा व्यंजन
दौलतंगज के अग्रसेन पार्क के बाहर आज भी मंगोड़े वाली चाची (रामदेवी चौहान) के बेटे रामू उसी स्थान पर दुकान चलाते हैं। रामू बताते हैं कि उनकी मां कहती थी कि अटलजी अपने पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी के साथ उनकी दुकान पर आया करते थे। उन्हें मंगोड़े बेहद पसंद थे। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद 2004 में जब वे अपना जन्मदिन मनाने ग्वालियर आए तो उन्होंने मुरार सर्किट हाउस में मां को मिलने बुलवाया। उन्हें देखकर वे भावुक हो गए और उन्हें एक लाख रपये का चेक देने लगे। मां ने कहा कि मुझे पैसा नहीं चाहिए, जहां तुम्हें आशीर्वाद दिया था वह जगह मुझे दिलवा दो। अटलजी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को अम्मा को गुमटी दिलाने को कहा। ये बात अलग है कि आज भी उनका बेटा उसी फुटपाथ पर मंगोड़े बेचता है। रामू यह जरूर कहते हैं कि उसके बाद किसी ने हमें परेशान नहीं किया।
बहादुरा स्वीट्स पर जरूर रुकते
अटलजी का पैतृक निवास शिंदे की छावनी में है और बहन उर्मिला (पूर्व सांसद अनूप मिश्रा की मां) की ससुराल सिंधी कॉलोनी में थी। अटलजी जब भी बहन से मिलने जाते तो नया बाजार स्थित बहादुरा स्वीट्स पर लड्डू खाने जरूर रकते। 90 साल पुरानी इस दुकान के संचालक विकास शर्मा बताते हैं कि उनके पिताजी बहादुर प्रसाद शर्मा के समय अटलजी दुकान पर आया करते। उनके साथ बैजनाथ शर्मा (शिक्षाविद और आरएसएस से जुड़े रहे), गंगाराम बांदिल (पूर्व विधायक भाजपा) होते। हम छोटे थे पर अच्छी तरह याद है कि जब भी अटलजी आते लड्डुओं के साथ हंसी-ठहाकों का दौर चलता था। बाद में उनके भानजे अनूप मिश्रा जब भी दिल्ली जाते तो उनके लिए यहां से लड्डू ले जाना नहीं भूलते थे।
बजरिया में आते थे पेड़े खाने
भिंड के बजरिया इलाके में करीब 200 साल पुरानी दुकान द्वारिका पेड़ा हाउस अटलजी को हमेशा याद रही। दुकान संचालक राजीव जैन बताते हैं-हमारे पिताजी के समय अटलजी आते थे। वे जब प्रधानमंत्री बन गए तब भी उनके लिए पेड़े दिल्ली भेजे जाते थे।