देश के पांच राज्यों में नई सरकारों के चुनाव का बिगुल, राजनीति को दिशा देंगे चुनावी नतीजे
आयोग के मुताबिक इस बार कम से कम पचास फीसद मतदाताओं अथवा आधे से अधिक मतदान केंद्रों में मतदान बाद पर्चियां उपलब्ध कराई जाएंगी। ये प्रयोग कामयाब हो गए तो फिर देश की संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया एक नए युग में प्रवेश कर जाएगी।
कपिल अग्रवाल। देश के पांच राज्यों में नई सरकारों के चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी राजनेता और दल मैदान में हैं। इन चुनावों के जो नतीजे आएंगे उनसे आने वाले दिनों में देश और राजनीति की दिशा तय होगी। इन चुनावों के तत्काल बाद राज्यसभा के 73 सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। सब कुछ संपन्न होने के बाद देश के लिए नए राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। जुलाई के आखिर तक राज्यसभा में संख्या बल के नए समीकरणों के साथ ही देश के पटल पर भारत के नए राष्ट्रपति का पदार्पण हो जाएगा। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव संबंधित राज्यों के विधायक करते हैं। और देश के समस्त सांसद तथा विधायक मिलकर राष्ट्रपति का। यानी बुनियादी रूप से सबकुछ विधायकों के हाथ में होता है जिन्हें जनता निर्वाचित करती है। स्पष्ट है राज्यसभा के सदस्यों और राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया में जनता का योगदान अप्रत्यक्ष तौर पर ही होता है।
इस बार पांच राज्यों में कुल मिलाकर लगभग छह सौ अस्सी विधायकों का चुनाव होना है। राज्यसभा एवं राष्ट्रपति के चुनाव बाबत प्रत्येक विधायक के वोट की कीमत राज्य एवं उसकी आबादी के आधार पर अलग-अलग होती है। विधायकों की कुल संख्या और वोट वैल्यू आदि मामलों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश है। किसी राज्य की कुल जनसंख्या को 1971 की जनगणना के आधार पर मापा जाता है।
उल्लेखनीय है कि वोटिंग अधिकार से विधान परिषद के सदस्यों को दूर रखा गया है, क्योंकि देश के हर राज्य में विधान परिषद नहीं हैं। इसके विपरीत संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को समान रूप से मत देने का अधिकार है। निर्वाचन प्रक्रिया अलग-अलग होने के बावजूद उनके मत का मूल्य समान रूप से एक ही (708) रखा गया है।इस बार निर्वाचन आयोग ने कुछ अभिनव प्रयोग भी किए हैं। इस बार वृद्धों, असहाय लोगों, दिव्यांगों और अपने निर्वाचन क्षेत्र से कोसों दूर रहकर जीवनयापन करने वालों को वैकल्पिक रूप से वोटिंग की डिजिटल सुविधा अथवा डाक द्वारा मत देने की अनुमति प्रदान की गई है। फर्जी वोटिंग रोकने और मतदान में पारदर्शिता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर जिम्मेदारियां तय की गई हैं। जैसे वोटर आइडी कार्ड को आधार से जोड़ना और हर मतदान केंद्र पर रिजर्व में अतिरिक्त मशीनों की व्यवस्था करना आदि। संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त विशेष सुरक्षा बल तो तैनात होंगे ही उन केंद्रों पर कैमरे लगाने की व्यवस्था भी की जा रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)