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असम के मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एआइयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को बताया राज्य का दुश्मन

आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए एआइयूडीएफ ने कांग्रेस एवं चार अन्य पार्टियों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया है। सरमा ने कहा हां मैं इस धरती पर भारतीय एवं असमी संस्कृति की रक्षा के लिए अतिवादी हूं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 11:03 PM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 11:16 PM (IST)
असम के मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एआइयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को बताया राज्य का दुश्मन
राज्य के मंत्री हिमंत बिस्व सरमा और एआइयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल की फाइल फोटो

गुवाहाटी, प्रेट्र। एआइयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को असम का दुश्मन करार देते हुए राज्य के मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि वह भारतीय एवं असमी संस्कृति की रक्षा के लिए एक अतिवादी हैं। सरमा ने अजमल पर असम की संस्कृति के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह तब तक पहचान की राजनीति की बात करते रहेंगे, जब तक लोकसभा सदस्य एवं विपक्षी नेता राजनीतिक परिदृश्य में रहेंगे। सरमा पूर्वोत्तर जनतांत्रिक गठबंधन (NEDA) के समन्वयक भी हैं। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) प्रमुख अजमल धुबरी सीट से लोकसभा सदस्य हैं। उनकी पार्टी के 14 विधायक विधानसभा में हैं, जिनमें अधिकतर असम के अल्पसंख्यक बहुल सीटों से जीत कर आते हैं।

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आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए एआइयूडीएफ ने कांग्रेस एवं चार अन्य पार्टियों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया है। सरमा ने कहा, हां, मैं इस धरती पर भारतीय एवं असमी संस्कृति की रक्षा के लिए अतिवादी हूं। अगर किसी ने मुझे यह तमगा दिया है तो कृपया करके मेरा आभार एवं धन्यवाद उन तक पहुंचा दें।

भारतीय राष्ट्रवाद की रक्षा करने का प्रयास कर रहा हूं: सरमा

जब उनसे पूछा गया कि क्या ध्रुवीकरण की राजनीति में वह और अजमल बराबर हैं तो असम के वित्त मंत्री ने कहा कि एआइयूडीएफ प्रमुख कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो असमी संस्कृति के विपरीत है, जबकि वह तो असमी संस्कृति की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं। सरमा ने कहा, मैं भारतीय राष्ट्रवाद की रक्षा करने का प्रयास कर रहा हूं। दो अतिवादी होने चाहिए। इसलिए अगर उत्तरी ध्रुव है तो दक्षिण ध्रुव भी होगा। अगर बदरुद्दीन अजमल गायब हो जाते हैं तो हम भी गायब हो जाएंगे। तब हम विकास की तथा कुछ और बात करेंगे। लेकिन जब तक बदरुद्दीन अजमल होंगे, तब तक हम विकास एवं पहचान की राजनीति की बात करेंगे।


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