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आठ फरवरी के बाद शाहीन बाग बन सकता है जलियांवाला बाग, ओवैसी का भाजपा पर हमला

असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि शाहीन बाग में प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सरकार बल का प्रयोग कर सकती है। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग आठ के बाद जलियांवाला बाग बदल सकता है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 07:59 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 08:32 AM (IST)
आठ फरवरी के बाद शाहीन बाग बन सकता है जलियांवाला बाग, ओवैसी का भाजपा पर हमला
आठ फरवरी के बाद शाहीन बाग बन सकता है जलियांवाला बाग, ओवैसी का भाजपा पर हमला

हैदराबाद, एएनआइ। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सरकार बल का प्रयोग कर सकती है, जहां नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ 50 दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहा है।

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समाचार एजेंसी एएनआइ से फोन पर बात करते हुए, ओवैसी से पूछा गया कि सरकार की ओर से संकेत मिले हैं कि 8 फरवरी के बाद शाहीन बाग को साफ कर दिया जाएगा। इसके जवाब में, उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि उनपर गोली चलाई जाए, शाहीन बाग को जलियांवाला बाग में बदला जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, 'ऐसा हो सकता है। भाजपा के मंत्री ने 'गोली चलाने का बयान' दिया। सरकार को एक जवाब देना चाहिए कि कौन कट्टरता फैला रहा है।'

सरकार स्पष्ट करें 2024 तक एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा

एनपीआर और एनआरसी के बारे में आगे बात करते हुए ओवैसी ने कहा, 'सरकार को स्पष्ट जवाब देना चाहिए कि 2024 तक एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा। वे एनपीआर के लिए 3900 करोड़ रुपये क्यों खर्च कर रहे हैं? मुझे ऐसा इसलिए सोच रहा हूं, क्योंकि मैं इतिहास का छात्र रहा हूं। हिटलर ने अपने शासनकाल में दो बार जनगणना कराई।  इसके बाद उसने यहूदियों को एक गैस चैंबर में धकेल दिया। मैं नहीं चाहता कि हमारे देश में ऐसा कुछ हो।'

शाहीन बाग समेत देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन 

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में नागरिकता कानून 2019 के संसद में पास होने के बाद से शाहीन बाग समेत देश के कई हिस्सों में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। विपक्ष ने इन्हें मुस्लिमों के खिलाफ बताकर सरकार पर निशाना साधा है। वहीं सरकार ने कहा कि इसे लेकर अफवाह फैलाया जा रहा है।

सरकार ने किया साफ,  कानून किसी के खिलाफ नहीं

सरकार ने कहा है कि सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सताए जाने के कारण वहां से दिसंबर 2014 तक भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है। सरकार ने साफ किया है कि कानून किसी के खिलाफ नहीं है। इससे भारत का कोई भी नागरिक प्रभावित नहीं होगा। यह कानून नागरिकता देने के लिए लेने के लिए नहीं।    


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