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Article 370: किस जिन्न के बहाने भारत को धमका रहीं महबूबा, किया पाकिस्तान का समर्थन

महबूबा मानती हैं कि जम्मू-कश्मीर को भारत में मिलाना बड़ी भूल थी। उन्होंने भारत को खुलेतौर पर धमकी भी दी है। वहीं पाक प्रधानमंत्री के बयान ने साबित कर दिया ये जुगलबंदी बेमतल नहीं।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 08:05 PM (IST)
Article 370: किस जिन्न के बहाने भारत को धमका रहीं महबूबा, किया पाकिस्तान का समर्थन
Article 370: किस जिन्न के बहाने भारत को धमका रहीं महबूबा, किया पाकिस्तान का समर्थन

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) व 35ए हटाए जाने के बाद पिछले 24 घंटे में देश के राजनीति माहौल में काफी उठा-पटक देखने को मिली है। कई राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं तो वहीं जम्मू-कश्मीर के स्थानीय राजनीतिक नेताओं समेत विपक्षी पार्टियां इस ऐतिहासिक फैसले का विरोध कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि भारत ने जिस जिन्न को बोतल से निकाल दिया है, उसे वापस डालना बहुत मुश्किल होगा। महबूबा का ये बयान ऐसे समय में पाकिस्तान को राहत देने वाला है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी महबूबा के बयान का समर्थन किया है।

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मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 व 35ए हटाने का मामला पूरी तरह से भारत का अंदरूनी मुद्दा है।इस बात को अमेरिका ने भी माना है। अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से यह बात साफ कर दी गई है कि जम्‍मू कश्‍मीर से जुड़ा ताजा फैसला पूरी तरह से भारत का अंदरुणी मामला है। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान बुरी तरह बिलबिलाया हुआ है। सोमवार को संसद में इसकी घोषणा होने के बाद से ही पाकिस्तान में बैठकों का दौर जारी है। भारत के इस फैसले का विरोध कर रहा पाकिस्तान धमकी देने और अमेरिका से मदद मांगने में जुट गया है।

पहले भी पाकिस्तान कई बार कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा चुका है। हाल में अमेरिकी दौरे पर गए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात में भी ये मुद्दा उठाया था। इसके बाद ट्रंप ने कश्मीर में मध्यस्थ की भूमिका निभाने संबंधी विवादित बयान दिया था। उनके इस बयान पर भारत के विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेर लिया था। विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री से ट्रंप के बयान पर संसद में जवाब मांग रहा था। इसके बाद ट्रंप व इमरान खान तो दूर संसद में बैठे विपक्षी दलों को भी इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि केंद्र सरकार उन्हें इस तरह का मुंहतोड़ जवाब देगी।

अन्य राज्यों के मुसलमान भी समर्थन में
केंद्र सरकार ने 72 साल बाद जम्मू-कश्मीर को वास्तविक आजादी देकर उसे सही मायनों में भारत का अभिन्न अंग बना दिया है। मतलब अब जम्मू-कश्मीर का कोई अलग झंडा नहीं होगा। वहां भी अब तिरंगा न केवल शान से लहराएगा, बल्कि उसकी शान में गुस्ताखी को जघन्य अपराध माना जाएगा, जैसा की शेष भारत में होता है। अब जम्मू-कश्मीर में भी भारतीय संविधान लागू होगा, राज्य का कोई अलग संविधान नहीं होगा। बाहरी लोग वहां जाकर स्थायी तौर पर रह सकेंगे, संपत्ति खरीद सकेंगे और वहां नौकरी भी कर सकेंगे। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर की युवतियों को भी अब दूसरे राज्य के पुरुषों से शादी करने की आजादी मिल गई है। दूसरे राज्य में शादी करने पर अब उनकी स्थानीय नागरिकता समाप्त नहीं होगी। धारा 370 व 35ए हटाए जाने से जम्मू-कश्मीर में कई बड़े बदलाव होंगे। इस फैसले के बाद से देश के सभी राज्यों में खुशी का माहौल है। जम्मू-कश्मीर को छोड़ दें तो अन्य राज्यों के मुसलमानों ने भी इस फैसले पर खुशी जताई है।

महबूबा का बयान, देश विरोधी या राजनैतिक
इन सबके बावजूद कश्मीर से अनुच्छेद-370 व 35ए हटाने जाने पर स्थानीय नेता बौखलाएं हुए हैं। बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि भारत ने जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया है। इस जिन्न को बोतल में वापस डालना बहुत मुश्किल होगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि महबूबा किस जिन्न की बात कर रही हैं? कहीं ये जिन्न आतंकवाद तो नहीं है, जिसने दशकों से पाकिस्तान के इशारे पर घाटी को अशांत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये कहीं वो जिन्न तो नहीं, जिसने स्कूल-कॉलेज जाने वाले घाटी के युवाओं के हाथों में पत्थर थमा दिया। इतना ही नहीं महबूबा धमकी भरे लहजे में आगे कहती हैं, इस एकतरफा फैसले के इस पूरे उपमहाद्वीप के लिए बहुत व्यापक परिणाम होंगे। इससे बहुत ज्यादा नुकसान होगा। महबूबा कहती हैं, 'हम कश्मीर के लोग, हमारे नेता, जिन्होंने दो राष्ट्रों की थ्योरी को नकारा और बड़ी उम्मीदों और विश्वास के साथ भारत के साथ गए। वो पाकिस्तान की जगह भारत को चुनने में गलत थे।' महबूबा के इस बयान का सीधा मतलब है कि जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान की जगह भारत का हिस्सा बनाने का फैसला गलत था। ऐसे में भारत के इस फैसले का विरोध कर रहे पाकिस्तान के लिए, महबूबा का बयान काफी राहत पहुंचाने वाला है।

पाकिस्तान को बताया सही
महबूबा ने अपने साक्षात्कार में कहा है, 'वो लोग जो न्याय के लिए संयुक्त राष्ट्र जाते थे, सही साबित हुए हैं और हम जैसे लोग जिन्हें भारत के संविधान में विश्वास था गलत साबित हुए हैं। हमें उसी देश ने निराश किया, जिसके साथ हम जुड़े थे।' उनका सयुक्त राष्ट्र वाला ये बयान भी पाकिस्तान के पक्ष में है। दरअसल, पाकिस्तान एक सोची-समझी साजिश के तहत भारत में चलाई जा रहीं अपनी आतंकवादी गतिविधियों को छिपाने के लिए हमेशा से कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाता रहा है। हालांकि, भारत की कूटनीति और पुख्ता दांवों की वजह से हर बार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी मुंह की ही खानी पड़ी। महबूबा कहती हैं, 'अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास भी मौका है ये देखने का कि कश्मीर में क्या चल रहा है।' कश्मीर अब अवैध कब्जे में है।

कश्मीर की गजा पट्टी से की तुलना
महबूबा ने कश्मीर की गजा पट्टी से तुलना की है। उन्होंने कहा केंद्र सरकार कश्मीर को गाजा पट्टी बनाना चाहती है। जो इजरायल ने गाजा में किया वहीं केंद्र सरकार यहां कश्मीर में कर रही है। हालांकि वे (केंद्र सरकार) कामयाब नहीं होंगे। अमेरीका को भी वियतनाम छोड़ना पड़ा था। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य राज्यों के मुसलमानों ने भी केंद्र के इस फैसले का स्वागत किया है। बावजूद महबूबा दावा कर रही हैं कि सरकार के इस फैसले से भारतीय मुसलमान और अलग-थलग होंगे। उनके मुताबिक अब एक विशेष धर्म के लोगों में डर बढ़ जाएंगे। महबूबा ने कहा, सरकार भारत को मुसलमान भारतीय मुसलमान हमसे ज्यादा कमजोर है।

इमरान ने किया महबूबा का समर्थन
पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर आज (मंगलवार, 06 अगस्त 2019) संसद के संयुक्त सत्र की आपात बैठक बुलाई है। पाकिस्‍तान में जम्‍मू कश्‍मीर के मसले पर बुलाए गए संयुक्त सत्र में इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बयान का जिक्र किया। इमरान खान ने कहा है कि जो लोग पहले दो राष्ट्रों की थ्योरी को नहीं मानते थे, वो अब मानने लगे हैं। जो लोग मानते थे कि दोनों धर्मों के लोग एक साथ रह सकते हैं, उन्हें अब अपनी सोच गलत साबित होती दिख रही है। जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान के साथ आना चाहिए था।

J&K के राजनीति दलों की साख को तगड़ा धक्का - विशेषज्ञ
विदेश मामलों के जानकार और राजनीतिक विश्लेषक हर्ष वी पंत के जम्मू-कश्मीर के नेताओं द्वारा केंद्र के इस फैसले का विरोध करना और इसे असंवैधानिक बताना स्वाभाविक है। उनके इस बयान और रवैये पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ही अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर अपनी स्पष्ट राय व्यक्त कर दी थी। पार्टी अपने स्टैंड पर हमेशा कायम रही। भाजपा के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण के पक्षधर थे। इसी मांग को लेकर शेष अब्दुल्ला सरकार ने श्रीनगर में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। वर्ष 1953 में जेल में ही उनकी मौत हो गई थी। तब से यह मुद्दा भाजपा के एजेंडे में शामिल है। यही वजह है कि प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी करने वाली मोदी सरकार 2 ने एक बार फिर इस फैसले के साथ अपने मजबूत इरादों और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है। सरकार के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टियों की शाख को तगड़ा धक्का लगा है। वहीं अलगाववादी नेता पहले ही बेनकाब हो चुके हैं, जो पाकिस्तान के इशारे पर राज्य को खोखला कर रहे हैं।

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