सेना के आंतरिक ढांचे में सुधार के लिए आर्मी कमांडर कांफ्रेस का आगाज
सेना का यह फैसला न सिर्फ रक्षा बजट के बेहतर इस्तेमाल का रास्ता साफ करेगा, बल्कि सेना में टीथ टू टेल अनुपात को भी सुधारने में मदद करेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सेना के आंतरिक ढांचे में सुधार के लिए राजधानी दिल्ली में छह दिवसीय आर्मी कमांडर कांफ्रेस का आगाज मंगलवार को हुआ। जिसमें सेना प्रमुख बिपिन रावत अपने मातहत सभी वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ अहम बैठक कर सेना के रक्षा बजट के बेहतर इस्तेमाल और सेना के पुर्नगठन की समीक्षा कर रहे है। इस बैठक में हाल ही में सेना द्वारा किये गए मानव संसाधन के विषय पर आई आतंरिक अध्ययन रिपोर्ट के बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी।
सेना मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल ही में सेनाध्यक्ष ने सेना के पुर्नगठन के लिए चार स्टडी ग्रुप का गठन किया था। लेफ्टिनेंट जनरल रैंक की अध्यक्षता के नेतृत्व वाले ये स्टडी ग्रुप सेना के क्षेत्र गठन, सेना मुख्यालय, कैडर रिव्यू और जेसीओ रैंक के सैनिकों के काम करने के तरीकों से जुड़े हुए थे। अब चारो ग्रुप ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट सेनाध्यक्ष को सौंप दी है और इस छह दिवसीय सेना कमांडरों की कांफ्रेस में इन सभी रिपोर्ट पर चर्चा होगी और फिर इन्हें रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा।
सेना का यह फैसला न सिर्फ रक्षा बजट के बेहतर इस्तेमाल का रास्ता साफ करेगा, बल्कि सेना में 'टीथ टू टेल अनुपात' को भी सुधारने में मदद करेगा। 'टीथ टू टेल अनुपात' सेना में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द है, जिसका मतलब होता है सीमा पर तैनात हर सिपाही के लिए आवश्यक समान पहुंचाने या उसके सहयोग के लिए तैनात अन्य लोगों का अनुपात।
असल में सेना में करीब डेढ़ लाख सैनिकों की कटौती को लेकर विचार विर्मश पहले से चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सेना प्रमुख चाहते हैं कि 12.6 लाख सैनिकों वाली सेना को थोड़ा छोटा किया जाए ताकि रक्षा बजट का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके। बता दें कि अभी रक्षा बजट का करीब 83 प्रतिशत हिस्सा सैनिकों की तनख्वाह में खर्च हो जाता है और हथियार और दूसरे सैन्य साजों-सामान के लिए थलसेना के पास पूंजीगत व्यय मात्र 17 प्रतिशत ही रह जाता है।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो अगले दो सालों में 50,000 सैनिकों को कम किए जाने की संभावना है। वहीं 2022-23 तक 100,000 और कर्मचारियों को कम किया जा सकता है। भारतीय सेना कैडर समीक्षा के तहत ऐसा कर सकती है।
आपको बता दें कि रक्षा बजट का करीब 50 प्रतिशत थलसेना के हिस्से आता है। जबकि बाकी 50 प्रतिशत वायुसेना और नौसेना को मिलता है। लेकिन क्योंकि थलसेना का स्वरूप बहुत बड़ा है इसलिए रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा सैनिकों की तनख्वाह और दूसरी जरूरतों पर खर्च हो जाता है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सेना चाहती है कि रक्षा बजट का 65 प्रतिशत सैनिकों की तनख्वाह में खर्च हो और बाकी 35 प्रतिशत हथियार खरीदने में। अगर सेना अगले चार-पांच सालों में डेढ़ लाख सैनिकों की कटौती करने में कामयाब हुई तो कम से कम 5-8 हजार करोड़ रूपया बचाया जा सकता है।
सैनिकों की कटौती के अलावा, समीक्षा में सेना की भविष्य की जरूरतों, अधिकारियों की करियर प्रगति, सेना इकाइयों में अधिकारियों की कमी, गैर-सूचीबद्ध अधिकारियों के करियर प्रबंधन, सेवा छोड़ने से संबंधित प्रावधान, और अधिकारियों की दक्षता और मनोबल में सुधार शामिल है।