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वरिष्ठता के पेंच में फंसी सालिसिटर जनरल की नियुक्ति! यह पद दस महीने से खाली पड़ा है

वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने गत वर्ष अक्टूबर में निजी कारणों की दुहाई देते हुए सालिसिटर जनरल पद से इस्तीफा दे दिया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 08:12 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 12:18 AM (IST)
वरिष्ठता के पेंच में फंसी सालिसिटर जनरल की नियुक्ति! यह पद दस महीने से खाली पड़ा है

माला दीक्षित, नई दिल्ली। भारत सरकार के मुकदमों की पैरोकारी करने वाले सालिसिटर जनरल का पद पिछले दस महीने से खाली पड़ा है। वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने गत वर्ष अक्टूबर में निजी कारणों की दुहाई देते हुए इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इस बीच कुछ एएसजी जरूर बनाए गए, एसजी को लेकर अटकलें भी चलीं, लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ। फिर से यह अटकल जरूर तेज है कि कहीं पेंच वरिष्ठता को लेकर तो नहीं फंस रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से मुकदमों की पैरवी अटार्नी जनरल (एजी) या सालिसिटर जनरल (एसजी) करते हैं। सालिसिटर जनरल की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए होती है। सरकारी मुकदमों और काम की अधिकता को देखते हुए सालिसिटर जनरल के सहयोग के लिए एडीशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) भी होते हैं।

सालिसिटर जनरल का पद दस महीने से खाली है ऐसे में अभी फिलहाल अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल के अलावा कुल सात एडीशनल सालिसिटर जनरल सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार के मुकदमों की पैरवी करते हैं। जिनमें मनिंदर सिंह, तुषार मेहता, पिंकी आनंद, पीएस नरसिम्हा, एएसएन नंदकरणी, अमन लेखी और विक्रमजीत बनर्जी हैं। इनके बीच की वरिष्ठता उनकी नियुक्ति की तिथि के आधार पर होती है।

ज्यादातर महत्वपूर्ण मुकदमों में अटार्नी जनरल के अलावा एएसजी तुषार मेहता और एएसजी मनिंदर सिंह पेश होते हैं। हालांकि पिंकी आनंद और एएसएन नंदकरणी भी बहुत से मामलों में पेश होते हैं। एसजी की नियुक्ति को लेकर कई बार खबरें उड़ीं। कभी तुषार मेहता को एसजी बनाए जाने की अफवाह आयी तो कभी मनिंदर सिंह की नियुक्ति की बात चली, लेकिन नियुक्ति नहीं हुई।

सूत्रों का मानना है कि बात वरिष्ठता को लेकर फंसी है। इस बीच अमन लेखी और विक्रमजीत सिंह की एडीशनल सालिसिटर जनरल पद पर नियुक्ति हुई। इतना ही नहीं अन्य एएसजी का कार्यकाल विस्तार भी हुआ।

विधि अधिकारियों में अटार्नी जनरल के बाद सालिसिटर जनरल का पद दूसरे नंबर का सबसे महत्वपूर्ण पद है। एसजी मुकदमों की पैरवी के अलावा सरकार को कानूनी सलाह भी देता है। वरिष्ठताक्रम में एजी, एसजी और फिर एएसजी का पद आता है। इसी क्रम में कार्य आवंटन होता है।

पूर्व एसजी रंजीत कुमार बताते हैं कि जब मुकुल रोहतगी एजी थे, तो वे ही विधि अधिकारियों को कार्य आवंटित करते थे उनकी अनुपस्थिति में रंजीत कुमार कार्य आवंटन करते थे। लेकिन केके वेणुगोपाल के एजी बनने के बाद व्यवस्था थोड़ी बदल गई थी। वेणुगोपाल स्वयं के मुकदमें अलग करके बाकी मुकदमें वापस भेज देते थे और बाकी काम रंजीत कुमार आवंटित करते थे।

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी अटार्नी जनरल और वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार सालिसिटर जनरल नियुक्त हुए थे। रोहतगी 18 जून 2017 तक अटार्नी जनरल रहे। उन्होंने अगले कार्यकाल विस्तार से मना कर दिया था जिसके बाद 1 जुलाई 2017 को वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल नये अटार्नी जनरल नियुक्त हुए।

रंजीत कुमार जून 2014 में सालिसिटर जनरल बने और अक्टूबर 2017 तक पद पर रहे। 7 जून 2017 को उन्हें अगले कार्यकाल का विस्तार मिल गया था, लेकिन उन्होंने 20 अक्टूबर को निजी कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद किसी की नियुक्ति नहीं हुई।


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