Move to Jagran APP

एमएसपी पर कानून अर्थव्यवस्था के लिए बनेगा संकट, आय बढ़ाने के दूसरे विकल्‍पों पर हो विचार : घनवट

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने सोमवार को कहा कि देश में अगर फसलों पर एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाता है तो अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ेगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 01:44 AM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 01:49 AM (IST)
एमएसपी पर कानून अर्थव्यवस्था के लिए बनेगा संकट, आय बढ़ाने के दूसरे विकल्‍पों पर हो विचार : घनवट
अनिल घनवट ने कहा कि एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाता है तो अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ेगा।

नई दिल्ली, एएनआइ। कृषि कानूनों पर सुझाव देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने सोमवार को कहा कि देश में अगर फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर कानून बनाया जाता है तो अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ेगा। शेतकारी संगठन के अध्यक्ष घनवट का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि कृषि कानूनों को वापस लेने के केंद्र सरकार की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारियों की तरफ से एमएसपी पर कानून बनाने की मांग तेज हो गई है।

loksabha election banner

ये होगी समस्‍याएं

घनवट ने कहा, 'अगर एमएसपी पर कानून बनता है तो हम संकट का सामना करेंगे। कानून बनने के बाद अगर किसी दिन खरीद प्रक्रिया नीचे जाती है तो कोई भी उत्पाद नहीं खरीद पाएगा क्योंकि एमएसपी से कम कीमत पर इसे खरीदना अवैध होगा और व्यापारियों को इसके लिए जेल में डाल दिया जाएगा।'

आय बढ़ाने के लिए अन्य उपायों पर हो विचार

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और किसान नेताओं दोनों को ही कृषि से आय को बढ़ाने के लिए कुछ अन्य उपायों पर विचार करना चाहिए। एमएसपी पर कानून इसका कोई समाधान नहीं है। घनवट ने आगे कहा, 'यह एक संकट होने जा रहा है क्योंकि न सिर्फ व्यापारियों को बल्कि स्टाकिस्टों और इससे जुड़े हर किसी को नुकसान होगा। यहां तक कि कमोडिटी बाजार भी अस्त व्यस्त हो जाएगा। यह विकृत हो जाएगा।'

खुली खरीद एक समस्या

घनवट ने कहा, 'हम एमएसपी के खिलाफ नहीं, लेकिन खुली खरीद एक समस्या है। हमें बफर स्टाक के लिए 41 लाख टन अनाज की जरूरत है लेकिन खरीद 110 लाख टन की होती है। अगर एमएसपी कानून बन जाता है तो सभी किसान अपनी फसल के लिए एमएसपी की मांग करेंगे और कोई भी उसमें से कुछ कमाने की स्थिति में नहीं होगा।

कृषि कानूनों को रद करना दुर्भाग्यपूर्ण

घनवट ने तीनों कृषि कानूनों को रद करने के कदम को भी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि किसान पिछले 40 वर्षों से सुधार की मांग कर रहे थे। कानूनों को रद करना अच्छा कदम नहीं है। देश में कृषि की मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है।

मोदी सरकार में इच्छाशक्ति थी

शेतकारी संगठन के अध्यक्ष ने कहा, 'अगर पेश किए गए नए कानून पूरी तरह से सही नहीं थे, उनमें कुछ खामियां थीं तो उन्हें ठीक करने की आवश्यकता थी। मैं समझता हूं कि इस सरकार में कृषि क्षेत्र में सुधार करने की इच्छाशक्ति थी जो पहले की सरकारों में नहीं थी। मुझे उम्मीद है कि सभी राज्यों के विपक्षी और किसान नेताओं को मिलाकर एक नई कमेटी बनाई जाएगी और फिर नए कृषि कानूनों पर संसद में चर्चा होगी और उन्हें पेश किया जाएगा।'

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी की प्रेस कांफ्रेंस आज

कृषि कानूनों पर सुझाव देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित तीन सदस्यी कमेटी की सोमवार को बैठक हुई, जिसमें मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करने का फैसला किया गया। इसमें कमेटी इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट के बारे में जानकारी देगी। शीर्ष अदालत ने जनवरी में इस कमेटी का गठन किया था जिसमें महाराष्ट्र के शेकतारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट के साथ कृषि मामलों के जानकार अशोक गुलाटी और पीके जोशी शामिल हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.