शाह ने कहा- यदि विपक्ष साबित कर दे यह बिल मुस्लिमों के खिलाफ है, तो बिल वापस ले लूंगा
अमित शाह ने कहा कि एक बार भारत की नागरिकता मिलते ही उनके खिलाफ चल रही कोई भी कार्रवाई खत्म हो जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए भारत में नागरिकता का रास्ता साफ हो गया है। लोकसभा में इस विधेयक को पेश करने के साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इन देशों में अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौेद्ध, जैन, पारसी और इसाईयों को भारत में शरण देना और अधिकार देना भारत का कर्तव्य है। भाजपा ने घोषणापत्र में इसका उल्लेख किया था और जनादेश ने इसपर मुहर लगाई है।
शाह ने कहा- यदि यह बिल मुस्लिमों के खिलाफ है तो मैं विधेयक वापस ले लूंगा
उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को भी खारिज किया कि यह मुस्लिमों के खिलाफ है। उन्होंने चुनौती दी कि अगर विपक्ष यह साबित कर दे कि यह भारत के मुस्लिमों के खिलाफ है तो वह विधेयक वापस ले लेंगे। साथ ही पूर्वोत्तर को आश्वासन दिया कि अधिकतर पूर्वोत्तर राज्यों में यह लागू नहीं होगा।
शाह ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर कहा- बिल संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ नहीं है
अमित शाह ने विपक्ष की इस आशंकाओं को भी खारिज कर दिया कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है, जिसमें नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं करने का प्रावधान है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि किस तरह 1971 में विशेष परिस्थितियों में बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों को शरण दी गई थी और बाद यूगांडा और श्रीलंका संकट के दौरान भी ऐसा ही किया गया था। उन्होंने कहा कि यदि उस समय अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं हुआ तो अब विपक्ष किस आधार पर आरोप लगा रहा है।
पूर्वोत्तर के राज्यों को इस विधेयक से डरने की जरूरत नहीं- अमित शाह
अमित शाह ने भरोसा दिया कि पूर्वोत्तर के राज्यों को इस विधेयक से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में यह लागू नहीं होगा। इसी तरह से इनरलाइन परमिट से सुरक्षित नागालैंड और मिजोरम में इसका कोई प्रभाव नहीं होगा, जबकि मणिपुर में इनरलाइन परमिट को लागू किया जाएगा। संविधान के छठवीं अनुसूची में शामिल होने के कारण मेघालय पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसी तरह त्रिपुरा भी इससे बचा रहेगा। उन्होंने कहा कि असम में भी स्थानीय संस्कृति, भाषा और लोगों के अधिकारों की रक्षा ने कांग्रेस ने कोई काम नहीं किया। मोदी सरकार अब 1985 के असम समझौते को लागू करने के लिए कदम उठा रही है।
शरणार्थियों की नागरिकता उसी दिन से मानी जाएगी जिस तारीख से भारत में आए- शाह
अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को तरह-तरह की अफवाहें फैलाकर डराने की कोशिश की जा रही है। उन्हें बताया जा रहा है कि एक बार नागरिकता के आवेदन करने के बाद उनके खिलाफ अवैध रूप से भारत में आने का जांच शुरू हो जाएगी। शाह ने भरोसा दिया कि इस विधेयक के तहत इन शरणार्थियों की नागरिकता उसी दिन से मानी जाएगी जिस तारीख से भारत में आए हैं।
गृहमंत्री होने के नाते गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का भरोसा देते हैं
उन्होंने कहा कि उनके पास राशनकार्ड हो या नहीं, गृहमंत्री होने के नाते उन्हें नागरिकता देने का भरोसा देते हैं। उनके अनुसार एक बार भारत की नागरिकता मिलते ही उनके खिलाफ चल रही कोई भी कार्रवाई खत्म हो जाएगी। इस आधार पर आवेदन खारिज नहीं होगा कि उसके खिलाफ कार्रवाई चल रही है।
किसी भी दल का घोषणापत्र जनता की आक्षांकाओं का प्रतिनिधित्व होता है- शाह
विधेयक के पीछे राजनीतिक एजेंडे के विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि यह एक लंबी राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा है। किसी भी दल का घोषणापत्र, सिर्फ राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि जनता की आक्षांकाओं का प्रतिनिधित्व होता है। उन्होंने बताया कि भाजपा ने 2014 और 2019 के अपने घोषणापत्र में साफ कर दिया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देगी। शाह ने कहा कि विधेयक उस घोषणापत्र का प्रतीक है, जिसे 130 करोड़ लोगों ने मुहर लगाई है।
अमित शाह ने बिल को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताने पर विपक्ष पर कसा तंज
अमित शाह ने विधेयक को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताने पर विपक्ष पर तीखा तंज किया। उन्होंने कहा कि आप देश के अल्पसंख्यकों के अधिकार की बात कर रहे हैं, लेकिन बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बांग्लादेश पाकिस्तान अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को अधिकार दे रही है।