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सांसदों को अमित शाह की सलाह: निर्भीक रूप से रखें पार्टी की विचारधारा

केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने नए सांसदों को निर्भीक रूप से पार्टी विचारधारा को रखने के लिए उत्साहित किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 08:47 AM (IST)
सांसदों को अमित शाह की सलाह: निर्भीक रूप से रखें पार्टी की विचारधारा
सांसदों को अमित शाह की सलाह: निर्भीक रूप से रखें पार्टी की विचारधारा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने नए सांसदों को जहां निर्भीक रूप से पार्टी विचारधारा को रखने के लिए उत्साहित किया है वहीं सांसद निधि के सही उपयोग को लेकर भी आगाह किया है। उन्होंने कहा कि सांसद निधि के कारण कई लोग सांसद बदनाम हो चुके हैं। ऐसे में नियम कायदे से बाहर जाकर कोई उपयोग न करें।

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लोकसभा में चुनकर आए नए सांसदों के लिए लोकसभा सचिवालय की ओर से प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसमें एक सत्र सांसदों को प्रभावी बनने के लिए गुर सिखाने से संबंधित था। शाह और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने परोक्ष रूप से भाजपा के विरोधियों पर तंज भी किया और सांसदों को आगाह भी।

उन्होंने कहा कि संसद राजनीतिक आरोपों का मंच नहीं है। लेकिन एक बड़ा कालखंड ऐसा रहा है जब अच्छी बातों को भी स्वीकार करने से पहले यह देखा जाता था कि वह बात कहां से आई है। जाहिर तौर पर वह भाजपा की विचारधारा के प्रति दूसरे दलों के व्यवहार का संकेत दे रहे थे। उन्होंने कहा कि संसद के प्रवेश द्वार पर ही धर्म की बात लिखी है लेकिन वह धर्म कर्तव्य और दायित्व है। अगर धर्म के साथ सरकार चलाने की बात होती है तो उसका विरोध नहीं होना चाहिए।

संसद में खुलकर विवेक के साथ अपनी और अपनी पार्टी की विचारधारा के अनुरूप बात रखने की सलाह देते हुए शाह ने कहा कि महाभारत सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि वहां मौजूद सदस्य निर्भीकता से अपनी बात नहीं रख सके थे। शाह ने कहा कि यह वक्त है कि सांसद अपना प्रभाव दिखाएं वरना विधायिका पर दूसरे क्षेत्रों का हस्तक्षेप बढ़ना तय है।

शाह ने बताया कि संसद में मौजूद तौर तरीकों से हम देश की दिशा तय कर सकते हैं। इसी क्रम में उन्होंने यह भी बताया कि 1991 में मुख्तार अंसारी और के एच मुनियप्पा ने प्रश्न उठाया था कि क्या केरल के कुछ स्कूलों में वंदे मातरम नहीं गया जाता है? तब भाजपा सांसद राम नाइक ने उसी सवाल के माध्यम से आधे घंटे की चर्चा की मांग की और सुझाव दिया कि जन गण मन व वंदे मातरम संसद के अंदर गाया जाएगा तो नीचे तक प्रेरणा मिलेगी। 1991 के बाद से ही संसद में जन गण मन गाया जाता है।


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