चीन से तनातनी के बीच, राजनाथ की चेतावनी, दुश्मन ने हमला किया तो देंगे मुंहतोड़ जवाब
राष्ट्रपति के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि अगर कोई दुश्मन देश हम पर हमला करेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने चीन को परोक्ष रूप से स्पष्ट और कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि अगर कोई दुश्मन देश हम पर हमला करेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर सशस्त्र बलों को दिए गए अपने संदेश में रक्षा मंत्री ने कहा, भारत जमीन नहीं, दिलों को जीतने पर यकीन रखता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम किसी को देश के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने की इजाजत देंगे।
राजनाथ सिंह ने कहा, 'इतिहास इस बात का गवाह है कि भारत ने कभी किसी पर हमला नहीं किया या किसी दूसरे देश की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सरकार वह सब कुछ कर रही है जो आपकी परिचालन आवश्यकता को बनाए रखने के लिए जरूरी है।' रक्षा मंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों की मारक क्षमता बढ़ाने के साथ ही उनके कल्याण के लिए भी तमाम कदम उठाए गए हैं। सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण की दिशा में तेजी से काम हो रहा है ताकि हमारी सेनाओं को आवागमन में सहूलियत रहे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा के क्षेत्र में सुधार की मांग को स्वीकार करते हुए पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस को लालकिला की प्राचीर से CDS के गठन की ऐतिहासिक घोषणा की। CDS के गठन से सेनाओं के बीच और बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया गया है। इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर खुशी की बात यह है कि राफेल के खेप आने शुरू हो गए हैं। दो हफ्ते पहले पांच राफेल विमान अंबाला एयर बेस पर पहुंचे। बाकी के भी शीघ्र ही आने वाले हैं। भारत में राफेल लड़ाकू विमान का टच डाउन हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इशारों ही इशारों में चीन को चेताया है कि यदि उसने कोई भी हिमाकत की तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। गलवन के बलिदानी सैनिकों का स्मरण करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सीमा पर अशांति पैदा करने की कोशिश की गई तो भारत इसका माकूल जवाब देने में सक्षम है। चीन का नाम लिए बिना राष्ट्रपति ने कहा कि पड़ोसी देश ने चालाकी से अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को अंजाम देने का दुस्साहस किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है।
विदेश मंत्रालय ने भी चीन को आगाह करते हुए कहा है कि सीमा विवाद को किस तरह से सुलझाया जाता है इससे ही दोनों देशों के भविष्य के रिश्ते तय होंगे। चीन को गंभीरता दिखाते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपने सैनिकों की शीघ्र वापसी सुनिश्चित करना चाहिए। भारत ने दोटूक कहा है कि यह बात जान लेना जरूरी है कि सीमा विवाद सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के बीच जो सहमति बनी थी उसे पूरी तरह से लागू किए बिना स्थाई शांति स्थापित नहीं हो सकती है। हम चाहते हैं कि चीन सैनिकों की वापसी शीघ्रता से पूरी करे।