चीन और पाक को छोड़कर अमेरिका सभी दक्षिण एशियाई देशों के साथ बना रहा नया समीकरण, जानें वजह
हाल के दिनों में अमेरिका ने चीन और पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम देना शुरू किया है। माना जा रहा है कि इस अमेरिका के इस कदम से आने वाले दिनों में भारत भी प्रभावित होगा।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका काफी पहले भारत को 21वीं सदी का सबसे अहम रणनीतिक साझेदार घोषित कर चुका है और अगले सोमवार और मंगलवार को दोनो देशों के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की अगुवाई में होने वाली टू-प्लस-टू वार्ता से यह साझेदारी और परवान चढ़ने की पूरी संभावना है। इस बीच अमेरिका ने जिस तरह से चीन और पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम देना शुरू किया है वह भी आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा।
अमेरिका खास तौर पर मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ अपने सैन्य संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटा है। जानकारों का कहना है कि अपने पड़ोसी देशों में अमेरिका की तरफ से नए संबंध गढ़ने की कोशिश को भारत की मूक सहमति है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ की रविवार से भारत यात्रा शुरू हो रही है। इस दौरान वह मालदीव और श्रीलंका भी जाएंगे। दो हफ्ते पहले भारत की यात्रा पर आए अमेरिका के उप विदेश मंत्री स्टीफेन बीगन भी बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे।
गौरतलब है कि चीन भी श्रीलंका और मालदीव को आकर्षित करने में लगातार जुटा हुआ है। हाल में चीन के बड़े कद्दावार नेता एवं स्टेट काउंसलर यांग यिची ने श्रीलंका की यात्रा की थी। भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में श्रीलंका की महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली नई सरकार के साथ बैठक की है लेकिन पीएम राजपक्षे सरकार की ओर से अभी विरोधाभाषी बयान आ रहे हैं। राजपक्षे को चीन समर्थक माना जाता है। ऐसे में अमेरिका की तरफ से श्रीलंका पर ज्यादा ध्यान देने की खास अहमियत है। अमेरिका श्रीलंका के साथ एक विशेष सैन्य समझौता करना चाहता है।
इस समझौते के जरिए अमेरिका अपने सैन्य बलों को आसानी से श्रीलंका की जमीन पर आने-जाने का रास्ता साफ करने की कोशिश में है। अमेरिक मालदीव के साथ भी इस तरह का समझौता करना चाहता है। अमेरिका ने जिस तरह से हाल के वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर बेहद आक्रामक नीति अख्तियार की है उसे देखते हुए दक्षिण एशिया के इन सभी देशों की अपनी अहमियत है। श्रीलंका खास तौर पर हिंद महासागर के सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग का सबसे महत्वपूर्ण देश है। चीन वहां एक बड़ा बंदरगाह एवं आर्थिक क्षेत्र निर्माण का ठेका पहले ही हासिल कर चुका है।
भारत की तरफ से श्रीलंका में रणनीतिक लिहाज से ढांचागत परियोजना हासिल करने की कोशिशों को बहुत सफलता अभी नहीं मिली है। भारत फिलहाल हिंद महासागर में अमेरिका की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को चीन के आक्रामक रवैये पर लगाम लगाने के लिहाज से सही मानता है। जानकार बताते हैं कि भारत अमेरिकी प्रशासन से पहले से कह रहा है कि वह श्रीलंका और बांग्लादेश दोनों के साथ अपने रिश्तों को गहराई देने को प्राथमिकता दे। भारत इसी रणनीति के तहत चीन के बढ़ते असर को एक सीमा तक रोक सकता है। यही कारण है कि दक्षिण एशिया में अमेरिका की नई सक्रियता को भारत सकारात्मक मान रहा है।