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CBI विवाद: आलोक वर्मा ने फैसले को बताया गलत, पूर्व अटॉर्नी जनरल ने जताई आपत्ति

सीबीआइ के निदेशक पद से हटाए जाने के मामले में आलोक वर्मा ने अपनी चुप्पी तोड़ी, कहा- झूठे, अप्रमाणित और बेहद हल्के आरोपों के आधार पर मेरा ट्रांसफर किया गया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 08:59 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 10:30 AM (IST)
CBI विवाद: आलोक वर्मा ने फैसले को बताया गलत, पूर्व अटॉर्नी जनरल ने जताई आपत्ति
CBI विवाद: आलोक वर्मा ने फैसले को बताया गलत, पूर्व अटॉर्नी जनरल ने जताई आपत्ति

नई दिल्ली, जेएनएन। सीबीआइ के निदेशक पद से हटाए जाने के मामले में आलोक वर्मा ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। पद से हटाए जाने पर वर्मा ने कहा कि मैंने CBI की साख बनाए रखने की हर संभव कोशिश की है, लेकिन झूठे आरोपों के आधार पर मुझे हटाया गया। उन्होंने आगे कहा कि झूठे, अप्रमाणित और बेहद हल्के आरोपों के आधार पर मेरा ट्रांसफर किया गया। उनका कहना है कि उनपर आरोप ऐसे शख्स ने लगाए हैं, जो उनसे घृणा करता है।

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हालांकि आलोक वर्मा के इस बयान पर पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आपत्ति जताई है। रोहतनी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता है, आलोक वर्मा ने सही इरादे से बयान दिया है। अगर प्रधानमंत्री और एक वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने CVC की रिपोर्ट के आधार पर कोई फैसला लिया है, तो वर्मा की ओर से यह कहना जायज नहीं है कि फैसला गलत है, सरकार को इसे पहले ही निपटना देना चाहिए था। इससे एजेंसी और सीबीआइ का नाम खराब हुआ है।'

पद पर बहाली के 48 घंटे के भीतर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने उन्हें दोबारा पद से हटाने का फैसला लिया। वर्मा को अब अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड का महानिदेशक बनाया गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को दोबारा पद पर बहाल कर दिया था, लेकिन गुरुवार को चयन समिति की बैठक में 2:1 से यह फैसला लिया गया कि अलोक वर्मा को सीबीआइ निदेशक पद से हटाया जाना चाहिए।

चयन समिति के पैनत में मौजूद प्रधानमंत्री मोदी और चीफ जस्टिस के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद जस्टिस एके सीकरी ने वर्मा को हटाने जाने के पक्ष में रहे, जबकि तीसरे सदस्य के तौर पर मौजूद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वर्मा के हटाने जाने के विरोध में थे।

इस पूरी मामले पर पहली बार आलोक वर्मा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जांच एजेंसी को बिना किसी बाहरी प्रभावों या दखलअंदाजी के कार्य करना चाहिए। मैंने जांच एजेंसी की साख बनाए रखने की कोशिश की है, जबकि इसे नष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं।


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