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भारतीय जमीन पर चीन व आस्ट्रेलिया के बीच 'वार', एलएसी पर वैश्विक मिशनों का हुआ पारा गर्म

पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण के बाद भारत अभी वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक चर्चाओं के केंद्र में है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 08:26 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 08:26 PM (IST)
भारतीय जमीन पर चीन व आस्ट्रेलिया के बीच 'वार', एलएसी पर वैश्विक मिशनों का हुआ पारा गर्म
भारतीय जमीन पर चीन व आस्ट्रेलिया के बीच 'वार', एलएसी पर वैश्विक मिशनों का हुआ पारा गर्म

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण के बाद भारत अभी वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक चर्चाओं के केंद्र में है। ऐसे में नई दिल्ली स्थित कूटनीतिक गलियारे व वैश्विक मिशनों का पारा भी गर्म है। इसकी एक बानगी शुक्रवार को तब देखने को मिली जब भारत में आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त और चीन के राजदूत के बीच सोशल साइट पर जमकर तकरार हो गया।

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चीनी राजदूत ब्रिटेन को भी एलएसी पर टिप्पणी करने के लिए आड़े हाथ ले चुका है

मामला सीधे तौर पर तो साउथ चाइना सी पर आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फारेल के उस बयान का था जिसमें उन्होंन को चीन को दोषी ठहराया था, लेकिन इसके पीछे पूर्वी लद्दाख में आस्ट्रेलिया की तरफ से भारतीय पक्ष का समर्थन करना भी शामिल रहा है। इसके पहले चीन के राजदूत सुन वीडोंग नई दिल्ली में ब्रिटेन के उच्चायुक्त को भी एलएसी पर टिप्पणी करने के लिए आड़े हाथ ले चुके हैं।

आस्ट्रेलिया ने एलएसी पर चीनी सेना के अतिक्रमण पर भारतीय पक्ष का समर्थन किया गया था

दरअसल, आस्ट्रेलिया उच्चायुक्त ने गुरुवार को एक बयान जारी किया था। इसमें परोक्ष तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सेना के अतिक्रमण पर भारतीय पक्ष का समर्थन किया गया था। इसमें कहा गया था कि आस्ट्रेलिया किसी भी पक्ष की तरफ से यथास्थिति बदल कर तनाव बढ़ाने वाले कदमों का विरोध करता है।

आस्ट्रेलिया ने कहा था- चीन साउथ चाईना सी को लेकर गैर-कानूनी तरीके से दावा पेश कर रहा है

साथ ही इसमें साउथ चाईना सी को लेकर भी तल्ख टिप्पणी की गई थी कि चीन वहां गैर कानूनी तरीके से दावा पेश कर रहा है जिसका विरोध किया जाना चाहिए। माना जाता है कि नई दिल्ली स्थिति आस्ट्रेलियाई उच्चायोग का यह बयान आस्ट्रेलिया और अमेरिका के रक्षा व विदेश मंत्रियों के बीच मंगलवार को हुई अहम बैठक के बाद सोची समझी रणनीति के तहत जारी किया गया। इसका मकसद दोनो देशों की तरफ से भारत को नैतिक समर्थन देना था।

राजदूत ने कहा- साउथ चाईना सी में सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों व कानूनों का चीन पालन करता है

चीन ने इस संकेत को समझा है तभी राजदूत वीडोंग ने आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त को यह याद दिलाया कि साउथ चाईना सी में सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों व कानूनों का चीन पालन करता है। यह भी साफ है कि कौन शांति व स्थायित्व को तोड़ रहा है और कौन क्षेत्र में तनाव भड़काने का काम कर रहा है।

आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने कहा- मुझे उम्मीद है कि चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करेगा

इस ट्विट पर जवाब देने की बारी अब आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त की थी। उन्होंने पहले तो चीन के राजदूत का धन्यवाद किया और फिर लिखा कि मुझे उम्मीद है कि आप वर्ष 2016 के साउथ चाईना सी पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आए फैसले का पालन करेंगे और एकतरफा तरीके से कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाएंगे जिससे यथास्थिति बिगाड़ने में मदद मिले।'' हाल के वर्षो में दो प्रमुख देशों के प्रतिनिधियों के बीच इस तरह का तनावपूर्ण माहौल नई दिल्ली में देखने को नहीं मिला है। जानकार बताते हैं कि शीत युद्ध काल में अमेरिका और सोवियत रूस के राजदूतों की तरफ से इस तरह कूटनीतिक संदेश वाली बयानबाजी होती रहती थी।


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