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अखिलेश-मायावती ने गठबंधन पर लगाई मुहर, 38-38 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी दोनों पार्टियां

यूपी में महागठबंधन आकार लेने लगा है। सपा और BSP में 38-38 सीटों पर सहमति बनी है। खास बात यह है कि कांग्रेस को इस महागठबंधन में जगह नहीं मिली है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 11:31 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 07:24 AM (IST)
अखिलेश-मायावती ने गठबंधन पर लगाई मुहर, 38-38 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी दोनों पार्टियां
अखिलेश-मायावती ने गठबंधन पर लगाई मुहर, 38-38 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी दोनों पार्टियां

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Loksabha Election को लेकर महागठबंधन की चर्चा लंबे वक्त से जोरों पर है। महागठबंधन की यह राजनीति आज उस वक्त और चरम आ गई जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) और बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) एक मंच पर आए। दोनों ने एक साथ मीडिया को संबोधित किया। अब दोनों पार्टियां उत्तर प्रदेश में मिलकर 38-38 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।

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भाजपा और एनडीए के खिलाफ बिहार की तर्ज महागठबंधन बनाए जाने की भूमिका लंबे वक्त से बनाई जा रही है। महागठबंधन के लिए उत्तर प्रदेश इसलिए भी अहमियत रखता है क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने यहां 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें से 71 सीटें तो अकेले भाजपा की झोली में आयी थीं। 

सपा-बसपा दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर समझौते पर सहमति बन जाने की जानकारी स्वयं मायावती और अखिलेश यादव ने दी है। दोनों पार्टियां 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। राष्ट्रीय लोक दल के भी इस गठबंधन में शामिल होने की संभावना थी, लेकिन सपा-बसपा ने सिर्फ चार सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ी हैं। इनमें से भी अमेठी और रायबरेली दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि आरएलडी के लिए बची हुई दो सीटें छोड़ी गई हैं।

दरअसल राज्य में भाजपा के खिलाफ किलेबंदी में जुटी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने कदम आगे बढ़ाए हैं। हाल में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नई दिल्ली स्थित बसपा सुप्रीमो मायावती के बंगले पर हाल ही में उनसे मुलाकात भी की थी। उस वक्त भी दोनों की तीन घंटे से अधिक चली बैठक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर विस्तार से चर्चा हुई।  

ज्ञात हो कि पूर्व में गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट के उप चुनाव के पहले जब बसपा ने सपा को समर्थन देने का फैसला किया था, तब अखिलेश लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित बसपा प्रमुख के बंगले पर धन्यवाद देने पहुंचे थे। इसके बाद ही भाजपा के खिलाफ दोनों दलों के बीच गठबंधन की नींव पड़ने लगी थी।

बता दें कि कुछ दिन पहले भी अखिलेश की बसपा के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं से दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इसमें सीटों के बंटवारे पर भी बात हुई थी। सीटों के बंटवारे से स्पष्ट हो गया है कि मायावती और अखिलेश ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर ही रखने पर मुहर लगा दी है।


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