माया, ममता और अखिलेश ने बिगाड़ा कांग्रेस के जश्न का माहौल, टूट ना जाए राहुल का सपना!
प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल के नाम की घोषणा का अभी किसी ने खुलकर विरोध तो नहीं किया है, लेकिन विपक्ष के नेता लोकसभा चुनाव के लिए किसी को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में नहीं।
नई दिल्ली, जेएनएन। कांग्रेस के खेमे में आज जश्न का माहौल है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश में कमल नाथ ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण कर ली है। वहीं भूपेश बघेल शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं। कांग्रेस ने तीन राज्यों में शपथ ग्रहण कार्यक्रम के लिए 25 पार्टियों को न्योता भेजा। इसके जरिए कांग्रेस 'विपक्षी एकता' का बल दिखाने की कोशिश कर रही थी। ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह में कौन आ रहा है, इससे ज्यादा लोगों की नजरें इस पर टिकी हुई थीं कि कांग्रेस के इस भव्य शपथ ग्रहण समारोह में कौन-कौन नहीं आ रहा है? बताया जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विपक्षी एकता को झटका देने की तैयारी पहले ही कर दी थी?
अखिलेश यादव ने शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत नहीं की। मायावती के अलावा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शपथ ग्रहण समारोह में नहीं दिखीं। ममता बनर्जी ने कहा कि वह पारिवारिक मजबूरियों के चलते शामिल नहीं हो पाएंगी, लेकिन उनकी तरफ से उनके प्रतिनिधि वहां मौजूद होंगे। लेकिन मायावती और अखिलेश ने शामिल नहीं होने के लिए अभी तक कोई वाजिब कारण नहीं बताया। ऐसे में संकेत साफ है कि विपक्षी एकता का जो ताना-बाना कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुन रहे हैं, वो बिखरता नजर आ रहा है।
बता दें कि कांग्रेस के तीन राज्यों में 'मेगा शो' में विपक्षी एकता का प्रदर्शन देखने को मिल सकता है, ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया, जिसे लेकर कांग्रेस खेमा जरूर निराश होगा। हालांकि कई विपक्षी नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। कांग्रेस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी न्योता दिया था। आप की तरफ राज्यसभा सांसद संजय सिंह इस समारोह में शामिल हुए।
दरअसल, विपक्ष अभी तक राहुल गांधी के नाम पर एकमत नहीं है। तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद कांग्रेस को बल जरूर मिला है, वहीं कुछ नेता राहुल गांधी के नेतृत्व के भरोसे 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने की सलाह भी दे रहे हैं। लेकिन ज्यादातर विपक्षी नेताओं को राहुल गांधी स्वीकार नहीं हैं। वहीं शपथ ग्रहण समारोह से ठीक पहले चेन्नई में एक कार्यक्रम में द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित कर विपक्षी नेताओं को भौहें तनवा दी हैं। चेन्नई में रविवार को द्रमुक मुख्यालय में एम करुणानिधि की प्रतिमा के अनावरण के बाद एक रैली में स्टालिन ने प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया था। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी में नरेंद्र मोदी को हराने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल के नाम की घोषणा का अभी किसी ने खुलकर विरोध तो नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक विपक्ष के नेता 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए किसी को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं। स्टालिन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के एक शीर्ष नेता ने कहा कि सपा, तेदेपा, बसपा, तृकां और एनसीपी स्टालिन की घोषणा से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री के बारे में फैसला होना चाहिए।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में शपथ ग्रहण समारोह को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए किया जा रहा शक्ति-प्रदर्शन माना जा रहा है। लेकिन अब विपक्षी एकता टूटती नजर आ रही है। राहुल गांधी को विपक्ष को एकजुट करने के लिए अब किसी नई रणनीति पर जल्द ही काम करना पड़ेगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है।