राफेल पर लोकसभा को जेटली ने किया गुमराह: एंटनी
राफेल विमानों की खरीद में एचएएल को दरकिनार किए जाने को लेकर सरकार पर वार करते हुए एंटनी ने कहा कि सैन्य बलों का 80 फीसद लड़ाकू विमानों का फ्लीट एचएएल का है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली पर राफेल सौदे को लेकर लोकसभा को गुमराह करने का आरोप लगाया है। एंटनी ने कहा है कि जेटली ने राफेल सौदे की प्रक्रिया में देरी को लेकर सदन में तथ्यों को तोड-मरोड़ कर न केवल पेश किया बल्कि झूठ भी बोला। 126 की जगह 36 राफेल खरीदने के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने एनडीए सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ गंभीर समझौता करने का भी आरोप लगाया।
पूर्व रक्षामंत्री एंटनी ने प्रेस कांफ्रेस में अपनी फाइल नोटिंग के तथ्यों के सहारे जेटली के दावों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा के नेताओं सुब्रमण्यम स्वामी और यशवंत सिन्हा की दी गई शिकायतों की जांच की वजह से राफेल सौदै की प्रक्रिया में देरी हुई। विमान के लाइफ साइकिल खर्च में हेर-फेर की आशंका को लेकर सिन्हा ने कुछ अन्य सांसदों के साथ पत्र लिखा था। जबकि स्वामी ने भ्रष्टाचार की आशंका जताई थी। एंटनी ने कहा कि रक्षा मंत्री के नाते इन शिकायतों की जांच कराना उनका दायित्व था। इसके विपरीत जेटली ने कहा कि मैंने एक तरफ राफेल सौदे को मंजूरी दी तो दूसरी ओर जांच का आदेश देकर इसे रोका। जबकि तथ्य यह है कि 27 जून 2012 को उन्होंने फाइल में मंजूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया साथ ही शिकायतों की जांच का आदेश।
राफेल विमानों की खरीद में एचएएल को दरकिनार किए जाने को लेकर सरकार पर वार करते हुए एंटनी ने कहा कि सैन्य बलों का 80 फीसद लड़ाकू विमानों का फ्लीट एचएएल का है। जबकि सरकार एचएएल को बर्बाद करने पर तुली है। पूर्व रक्षामंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के आखिरी वित्त वर्ष में एचएएल के पास 17600 करोड से अधिक नगद सरप्लस था। मगर आज उसे अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में 126 राफेल सौदे में 108 टेक्नोलाजी ट्रांसफर के जरिये एचएएल को बनाने थे और दासौ के साथ उसका समझौता 95 फीसद पूरा हो चुका था।
दासौ के चेयरमैन और एचएएल के तत्कालीन प्रमुख के 2015 के बयान इसकी पुष्टि करते हैं। मगर सत्ता परिवर्तन के बाद मोदी सरकार ने अचानक पुरानी डील को रद्द किए बिना आपात खरीद के नाम पर 36 राफेल खरीदने का फैसला किया मगर आज तक एक भी विमान नहीं आया है। इसे आने में अभी तीन साल से ज्यादा लगेंगे। जबकि बाकी 108 या 110 विमान हासिल करने की प्रक्रिया तेज भी की जाती है तो कम से कम 2030 तक ही मिल पाएंगे।
एंटनी ने कहा कि वायुसेना ने सन 2000 में 126 विमान मांगे थे और इससे साफ है कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है। वह भी तब जब चीन और पाकिस्तान से दोतरफा मोर्चे पर खतरा मंडरा रहा है। पूर्व रक्षामंत्री ने कहा कि जेपीसी जांच से ही साफ होगा कि कौन सच और कौन झूठ बोल रहा। उन्होंने कहा कि सरकार के पास प्रचंड बहुमत है फिर भी वह जेपीसी जांच से डर रही और इसे साफ है कि राफेल सौदे में कहीं न कहीं गड़बड़ी है।