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Maharashtra Politics News: अजीत पवार का बड़ा बयान, कहा- एनसीपी में था और हूं

अजीत पवार ने कहा कि मैंने कभी भी पार्टी नहीं छोड़ी थी। मैं एनसीपी के साथ था अभी भी हूं और भविष्य में भी एनसीपी में ही रहूंगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 11:48 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 11:54 AM (IST)
Maharashtra Politics News: अजीत पवार का बड़ा बयान, कहा- एनसीपी में था और हूं
Maharashtra Politics News: अजीत पवार का बड़ा बयान, कहा- एनसीपी में था और हूं

मुंबई, एएनआई।  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजीत पवार ने बुधवार को कहा कि मैंने पहले ही कहा है कि मैं एनसीपी के साथ हूं। क्या उन्होंने मुझे निकाल दिया? क्या आपने आज ऐसा कहीं सुना या पढ़ा? मैं अभी भी एनसीपी के साथ हूं। महाराष्ट्र विधानसभा में जारी विशेष सत्र में शपथ लेने के बाद अजीत पवार ने कहा कि मैंने कभी भी पार्टी नहीं छोड़ी थी। मैं एनसीपी के साथ था, अभी भी हूं और भविष्य में भी एनसीपी में ही रहूंगा।

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अजीत पवार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने उनके बारे में गलत रिपोर्ट किया है और वे इसकी प्रतिक्रिया आने वाले समय में देंगे। वहीं, पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने आज सबको चौंका दिया जब उनके वहां पहुंचते ही उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले ने उनका स्वागत किया और इसके बाद उन्होंने उन्हें गले लगा लिया।

सुप्रिया ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भी गर्मजोशी से हाथ जोड़कर स्वागत किया और जब वे मुस्कराते हुए आगे बढ़े तो उनके कंधे पर हाथ रखकर उनसे बात की। 

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले अजीत पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शरद पवार के बाद दूसरे नंबर के नेता समझे जाते थे। टिकट के बंटवारे से लेकर प्रचार अभियान तक उन्हीं का बोलबाला रहता था। चुनकर आए ज्यादातर राकांपा विधायकों को टिकट अजीत पवार की सहमति से ही मिले थे। जब शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की मिलीजुली सरकार बनाने की बात चली तो 'दादा' के नाम से मशहूर अजीत पवार कम से कम ढाई साल का मुख्यमंत्री पद राकांपा के लिए चाह रहे थे। क्योंकि राकांपा की सीट संख्या शिवसेना से मात्र दो कम है।

लेकिन शरद पवार ने बैठक से बाहर निकलकर स्पष्ट घोषणा कर दी कि महाविकास आघाड़ी की सरकार में मुख्यमंत्री पद के लिए उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बन गई है। मुख्यमंत्री पद तो दूर की बात, उपमुख्यमंत्री पद के लिए भी अजीत पवार को कोई संभावना नजर नहीं आ रही थी। तब उन्होंने पार्टी से बगावत करने की सोची। उन्हें उम्मीद थी कि जिन विधायकों को टिकट देने और जिताने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है, कम से कम वे तो उनका साथ देंगे।

ऐसे विधायकों की संख्या चुनकर आए दो-तिहाई विधायकों के लगभग थी। बाकी बचे विधायक बाद में साथ आ सकते थे। लेकिन अजीत पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए उनके चाचा शरद पवार जिस तरह राकांपा विधायकों को संभालने में जुटे, उससे अजीत पवार की उम्मीदों पर पानी फिर गया।


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