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आज होगी सरकार और किसान नेताओं में बात, कृषि मंत्री ने दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में किया आमंत्रित

किसानों के आंदोलन पर सरकार गंभीर है। सरकार ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए मंगलवार को विज्ञान भावन अपराह्न तीन बजे बुलाया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने सोमवार देर रात यह जानकारी दी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 12:03 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 06:56 AM (IST)
आज होगी सरकार और किसान नेताओं में बात, कृषि मंत्री ने दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में किया आमंत्रित
सरकार ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए मंगलवार को विज्ञान भावन अपराह्न तीन बजे बुलाया है।

नई दिल्ली, जेएनएन/एएनआइ। संसद से पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली पहुंचे आंदोलनरत किसानों के नेताओं को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। यह बैठक दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में होगी। उन्‍होंने कहा कि पहले निर्णय हुआ था कि किसान भाइयों के साथ अगले दौर की बातचीत तीन दिसंबर को होगी लेकिन किसान अभी भी कड़ाके की सर्दी के बीच आंदोलन कर रहे हैं। दिल्‍ली में कोरोना महामारी का खतरा भी है इसलिए बातचीत पहले होनी चाहिए। 

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विपक्ष पर भी तगड़ा निशाना

कृषि मंत्री ने कहा, '13 नवंबर को हमने अगले दौर की बातचीत तीन दिसंबर को करने का फैसला किया था लेकिन किसानों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। कोविड की स्थिति और सर्दियों की वजह से हमने फैसला किया कि हमें तीन दिसंबर से पहले बातचीत करके हालात का समाधान निकालने की जरूरत है। इसलिए एक दिसंबर को तीन बजे उन सभी किसान संगठनों को आमंत्रित किया गया है जो पहले दौर की वार्ता में मौजूद थे।'  कृषि मंत्री ने विपक्ष पर भी तगड़ा निशाना साधा।

विपक्ष ने पैदा की गलतफहमी 

उन्‍होंने कहा कि जब कृषि कानून लाए गए थे तो उन्होंने (विपक्ष) किसानों के बीच कुछ गलतफहमी पैदा की। यही कारण है कि किसानों को नए कृषि कानूनों को लेकर कुछ गलतफहमी हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में बीते छह वर्षों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए एतिहासिक काम किए गए हैं। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत की पेशकश की थी। उन्‍होंने किसानों से सरकार द्वारा सुनिश्चित स्‍थान पर आंदोलन जारी रखने को कहा था लेकिन ने सरकार के प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था। 

पीएम मोदी ने भी विपक्ष पर बोला हमला 

किसानों का कहना है कि बातचीत के लिए वह सरकार की किसी भी शर्त को नहीं मानेंगे। बातचीत बिना शर्त होनी चाहिए। अब जब केंद्र सरकार ने दूसरी बार बातचीत को बुलाया है देखना यह है कि किसान नेताओं का रुख क्‍या होता है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने काशी में विपक्ष पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिनका इतिहास ही छल का रहा है वे किसानों में नए कानूनों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। सरकार अपने प्रकल्प से किसानों को आय वृद्धि का विकल्प दे रही है। इन दोनों के मिलन से ही देश का कायाकल्प संभव है।  

24 घंटे में आला मंत्रियों की दो बार बैठक 

केंद्र की इस पहलकदमी से समझा जा सकता है कि किसानों के आंदोलन पर सरकार कितनी गंभीर है। सरकार की गंभीरता का आलम यह है कि किसानों के आंदोलन के मसले पर कोई ठोस रास्ता निकालने के लिए एक दिन के भीतर केंद्रीय मंत्रियों ने दो बार बैठक कर विचार-विमर्श किया। पहली बैठक रविवार शाम भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हुई थी जबकि दूसरी बैठक सोमवार दिन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर हुई। इस दौरान केंद्र सरकार के मंत्रियों की ओर से किसानों को भरोसा दिया गया कि इन कानूनों से उन्‍हें कोई खतरा नहीं है। 

जारी रहेगी एमएसपी पर खरीद 

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एसएसपी पर सरकारी खरीद आगे भी जारी रहेगी इसको बंद करने का कोई सवाल पैदा होता है। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों के जीवन में नए अवसर पैदा होंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के बातचीत करने को तैयार है चाहें तो पूर्व निर्धारित तारीख तीन दिसंबर से पहले ही बैठक सकते हैं। वहीं किसान संगठनों चुप्‍पी से कई सारे सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

वित्तीय समर्थन को लेकर सरकार आशंकित

वहीं पंजाब के किसानों को आंदोलन के लिए मिल रहे वित्तीय समर्थन को लेकर सरकार आशंकित है। खासतौर पर विदेश में बसे प्रवासी भारतीयों की ओर से समर्थन से इसे और बल मिल रहा है। यही नहीं माना यह भी जा रहा है कि किसान आंदोलन को कांग्रेस और वामपंथी दलों का समर्थन मिल रहा है। असल में विपक्षी दलों की कोशिश किसानों के सहारे सरकार पर दबाव बनाने की है। यही वजह है कि सरकार विपक्ष को सवाल उठाने का कोई मौका नहीं देना चाहती है। भाजपा ने किसानों को गुमराह नहीं होने की सलाह दी है। 


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