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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की किसानों से अपील- आंदोलन खत्म कर सरकार से बातचीत करें

तोमर जो 40 किसान यूनियनों के साथ वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं उन्होंने उम्मीद जताई कि किसान तीनों कृषि कानूनों के महत्व को समझेंगे और इस गतिरोध को तोड़ने के लिए एक समाधान तक पहुंचने के लिए सरकार के साथ चर्चा करेंगे।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 01:40 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 01:58 PM (IST)
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की किसानों से अपील- आंदोलन खत्म कर सरकार से बातचीत करें
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Narendra Singh Tomar)। (फोटो: एएनआइ)

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Narendra Singh Tomar) ने किसानों से अपील की है कि वे अपना आंदोलन खत्म करें और सरकार के साथ बातचीत की टेबल पर आएं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को अपने एक संबोधन में पंजाब के किसानों से अपना विरोध खत्म करने और तीन नए कृषि कानूनों पर गतिरोध को हल करने के लिए सरकार के साथ विचार-विमर्श करने के लिए बातचीत करने की अपील की है।

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गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर फिलहाल 40 किसान यूनियनों के साथ सरकार की वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं। तोमर ने उम्मीद जताई कि किसान इन तीनों कृषि कानूनों के के महत्व को समझेंगे और इस पर जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए एक समाधान तक पहुंचने के लिए सरकार के साथ चर्चा करेंगे।

यह कहते हुए कि पंजाब के किसानों के मन में कुछ गलतफहमी है कृषि मंत्री ने कहा कि मैं उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि वे विरोध छोड़ दें और बातचीत के लिए आगे आएं। मुझे उम्मीद है कि किसान नए कानूनों के महत्व को समझेंगे और समाधान तक पहुंचेंगे। 

तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान और उनके परिवार के सदस्य लगभग एक महीने(30 दिन) से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आज किसानों के प्रदर्शन का 30वां दिन है। अब तक केंद्र और 40 विरोध किसान संघों के बीच पांच दौर की औपचारिक वार्ता किसी भी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। सरकार ने किसानों को अगले दौर की वार्ता के लिए दो बार आमंत्रित भी किया है। इसको लेकर सरकार दो बार किसानों को चिट्ठी लिख चुकी है।

तोमर के अलावा खाद्य, वाणिज्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश 40 किसान यूनियनों के साथ चर्चा में भाग ले रहे हैं। विरोध करने वाले संगठनों का मानना है कि नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के सुरक्षा जाल को खत्म कर देंगे, मंडी (थोक बाजार) प्रणाली से दूर करेंगे और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ देंगे।


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