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सियासत बचाने के लिए माकपा में उभरने लगे हैं गठबंधन के सुर

हैदराबाद में पार्टी कांग्रेस के दौरान त्रिपुरा की हार के मद्देनजर राजनीतिक लाइन में बदलाव पर गंभीर मंथन होगा।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Mon, 05 Mar 2018 08:56 PM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 08:59 PM (IST)
सियासत बचाने के लिए माकपा में उभरने लगे हैं गठबंधन के सुर
सियासत बचाने के लिए माकपा में उभरने लगे हैं गठबंधन के सुर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। त्रिपुरा का सियासी दुर्ग ध्वस्त होने के बाद वामपंथी पार्टियों की अगुआ माकपा के भीतर मौजूदा राजनीतिक लाइन में बदलाव करने की आवाज धीरे-धीरे तेज होने लगी है। पार्टी ही नहीं विचारधारा का अस्तित्व बचाये रखने के लिए माकपा में कांग्रेस समेत दूसरे सेक्यूलर दलों से गठबंधन की वकालत शुरू हो गई है।

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पश्चिम बंगाल के बाद त्रिपुरा का दूसरा किला ध्वस्त होने के बाद माकपा में राजनीतिक लाइन को लेकर सामने आ रही बेचैनी पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी के लिए सकारात्मक मानी जा रही है। येचुरी राजनीतिक यथार्थ के मद्देनजर कांग्रेस के साथ गठबंधन की वकालत करते रहे हैं। मगर वरिष्ठ नेता पूर्व सीपीएम महासचिव प्रकाश करात और उनकी सैद्धांतिक वामपंथी विचाराधारा के हिमायती येचुरी के प्रस्ताव के खिलाफ रहे हैं। त्रिपुरा चुनाव से पहले माकपा की सेंट्रल कमिटी की जनवरी महीने में हुई बैठक में तो बकायदा येचुरी के कांग्रेस से दोस्ती के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।

अब त्रिपुरा चुनाव की करारी हार के बाद माकपा के राजनीतिक अस्तित्व पर गहराते संकट ने अचानक पार्टी के भीतर खलबली मचा दी है। पार्टी की इस अंदरुनी बेचैनी का ही नतीजा है कि पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्ला ने खुले तौर पर राजनीतिक लाइन में बदलाव की आवाज उठायी है। उनका साफ कहना है कि त्रिपुरा की हार के बाद पार्टी के लिए एक बिल्कुल नई चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। ऐसे में हमें अपनी राजनीतिक लाइन पर पुनर्विचार करना होगा।

पश्चिम बंगाल समेत दूसरे सूबों में माकपा की राजनीतिक ताकत में इजाफे के लिए येचुरी लंबे समय से कांग्रेस के साथ गठंबधन की पैरोकारी करते रहे हैं। इसमें येचुरी को बंगाल के वामपंथी नेताओं का भी समर्थन रहा है। मगर पार्टी के केरल लॉबी के नेता करात की अगुआई में इसके खिलाफ रहे हैं। त्रिपुरा की हार के बाद अब केरल लॉबी बैकफुट पर है और हैदराबाद में अप्रैल में होने वाली पार्टी कांग्रेस में मौजूदा राजनीतिक लाइन में बदलाव के लिए उस पर गहरा दबाव होगा।

हैदराबाद बैठक में गठबंधन को लेकर माकपा के रुख में बदलाव की संभावना जताई भी जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लोकसभा सांसद मोहम्मद सलीम का बयान भी इसी ओर संकेत करता है। सलीम ने कहा कि पार्टी की बैठक में त्रिुपरा समेत सभी मसलों पर व्यापक चर्चा होगी और इसके बाद ही राजनीतिक लाइन की दिशा तय होगी।


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