नागालैंड में AFSPA के विस्तार पर पूर्व सीएम जेलियांग का तंज, बोले- यह न्यू ईयर पैकेज है
नागालैंड में आफ्सपा के विस्तार पर राज्य सरकार और विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है। विपक्षी नेता और पूर्व सीएम टीआर जेलियांग ने तंज कसते हुए कहा कि यह न्यू ईयर पैकेज है।
कोहिमा, पीटीआइ। नागालैंड में राज्य सरकार, विपक्षी दलों और विभिन्न नागा नागरिक समाज समूहों ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम 1958 (AFSPA ) के विस्तार पर नाराजगी जताई है। विपक्षी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री, टीआर जेलियांग ने इसे लेकर तंज कसते हुए कहा कि नागा समूहों और केंद्र के बीच शांति समझौते के बजाय क्रिसमस गिफ्ट के तौर पर नागालैंड को नागरिकता संशोधन कानून 2019 मिला। आफ्सपा का विस्तार न्यू ईयर पैकेज के रूप में हुआ है।
केंद्र ने पिछले साल 30 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी कर नागालैंड में अगले छह महीने यानी जुलाई-अंत तक आफ्सपा कानून का विस्तार करने का आदेश दिया था। यह कानून सुरक्षा बलों को कहीं भी अभियान संचालन करने और बगैर किसी पूर्व सूचना के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।
गृह मंत्रालय ने जारी की थी अधिसूचना
गृह मंत्रालय ने इस दौरान अधिसूचना जारी कर के कहा था कि केंद्र सरकार का विचार है कि पूरे नगालैंड अशांत और खतरनाक स्थिति में है और नागरिक प्रशासन की सहायता में सशस्त्र बल का इस्तेमाल जरूरी है। हालांकि, राज्य सरकार के अधिकारियों, विपक्ष और नागा होहो, नागा मदर एसोसिएशन (NMA) नागा स्टूडेंट फेडरेशन (NSF) और नागालैंड ट्राइब काउंसिल (NTC) समेत कई संगठनों ने केंद्र सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताई है।
कानून का हर साल आगे बढ़ा दिया जाता है
एक शीर्ष सरकार अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर समचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि राज्य सरकार हमेशा नागालैंड में आफ्सपा के विस्तार पर आपत्ति जाहिर करती है। केंद्र सरकार को नागालैंड को 'अशांत क्षेत्र' घोषित करने से पहले राज्य की राय लेनी होती है, लेकिन कानून का हर साल आगे बढ़ा दिया जाता है और अब यह एक नियमित अभ्यास बन गया है। हमेशा की तरह इस बार भी जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हमसे राय मांगी तो हमने आपत्ति जाहिर की। अधिकारी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार आफ्सपा नहीं चाहती है, लेकिन अगर केंद्र सरकार कुछ अन्य मुद्दों पर विचार करके ऐसा कर रही तो इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है।
आफ्सपा सभ्य समाज में अब प्रासंगिक नहीं- नागा होहो
नागा होहो के महासचिव के एल एलु नडांग ने कहा कि आफ्सपा सभ्य समाज में अब प्रासंगिक नहीं है। इसकी आधुनिक दुनिया में कोई स्थान नहीं है। आफ्सपा केवल आतंकित करने और निर्दोष लोगों के बीच भय पैदा करने का एक साधन है।