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सत्ता गंवाने के सालभर बाद जिम्मेदार ठहराए गए कमल नाथ, कांग्रेस सांसद ने उठाए कई सवाल

तन्खा ने ट्वीट की बातों को एक वीडियो में विस्तार से कहते हुए पीड़ा जाहिर की है कि मेरा तो ये दर्द है कि यदि वो (कमल नाथ) सही मुकदमों पर कार्रवाई कर लेते तो शायद ये सरकार नहीं गिरती।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 05:17 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 05:21 PM (IST)
सत्ता गंवाने के सालभर बाद जिम्मेदार ठहराए गए कमल नाथ, कांग्रेस सांसद ने उठाए कई सवाल
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की फाइल फोटो

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। सत्ता गंवाने के सालभर बाद पहली बार कमल नाथ को ही सरकार गिरने के लिए जिम्मेदार ठहराने की आवाज कांग्रेस से उठी है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने उनकी कार्यशैली को निशाने पर लेते हुए कहा है कि यदि व्यापम, ई-टेंडरिंग, हनीट्रैप जैसे मामलों पर समय रहते कार्रवाई की जाती, तो भाजपा की हिम्मत नहीं पड़ती। तन्खा कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं और गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने वाले असंतुष्ट नेताओं के खेमे जी-23 में शामिल हैं। ऐसे में तन्खा का बयान मध्य प्रदेश कांग्रेस में नाथ के खिलाफ असंतोष को हवा देगा।

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इससे पहले भी गोडसे समर्थक बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में लेने पर नाथ को अपनी ही पार्टी में विरोध झेलना पड़ा था। कमल नाथ को घेरने वाले तन्खा के बयान का संदर्भ हाल ही में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सरकार के दौरान भाजपा नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे।

तन्खा ने ट्वीट की बातों को एक वीडियो में विस्तार से कहते हुए पीड़ा जाहिर की है कि मेरा तो ये दर्द है कि यदि वो (कमल नाथ) सही मुकदमों पर कार्रवाई कर लेते तो शायद ये सरकार नहीं गिरती। मुझे पता है व्यापम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, ई-टेंडरिंग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, हनीट्रैप पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतने बड़े-बड़े टेंडर में हेराफेरी हुई है, बड़े-बड़े अधिकारी और लोग शामिल थे। यदि रत्तीभर भी कार्रवाई होती तो भाजपा हिम्मत न करती, जो उसने किया।

ये है तन्खा का ट्वीट

झूठे केस हटाना बिल्कुल सही है वीडी शर्मा जी, मैं इससे सहमत हूं। परंतु बदले की राजनीति कांग्रेस की संस्कृति नहीं रही है। झूठे तो दूर यदि कमल नाथ जी ने अपनी सरकार में रहते हुए सही प्रकरणों में ही पर्याप्त कार्रवाई की होती तो उनकी सरकार नहीं गिरती। नाथ के सामने बढ़ रहीं चुनौतियां वर्ष 2018 में कमल नाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई, तो उन्होंने सबसे पहले अलग-अलग धड़ों में सामंजस्य बनाते हुए कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराई, लेकिन अपनी ही सरकार में अनसुनी को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई दिग्गज नाराजगी जताने लगे।

नतीजा ये हुआ कि सिंधिया ने सरकार का रिमोट दिग्विजय सिंह के हाथ में होने का आरोप लगाते हुए अपनी राह अलग कर ली, तब से संगठन में कमल नाथ के खिलाफ कभी मौन तो कभी मुखर विरोध सतह पर आने लगा। इसकी झलक 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में दिखी, जब वह अकेले ही मोर्चे पर डटे रहे और हार का ठीकरा भी उन्हीं पर फोड़ दिया गया। विस में नेता प्रतिपक्ष नाथ हैं, तो उनके साथ सदन में भी पार्टी विधायक उस मजबूती से नहीं दिखते, जिससे पार्टी मुखर विपक्ष साबित हो सके। ऐसे में तन्खा के आरोप संगठन में नाथ के खिलाफ हवा को तेज करते दिख रहे हैं।


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