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प्राइवेट सेक्टर के इन लोगों को सरकार ने सीधे बनाया ज्वाइंट सेक्रेटरी, जानें- क्या है खास वजह

ये पहली बार है जब सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में लेटरल एंट्री के जरिए विभिन्न विभागों के संयुक्त सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर विशेषज्ञों की तैनात की है। जानें- कौन हैं ये दिग्गज।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 01:19 PM (IST)
प्राइवेट सेक्टर के इन लोगों को सरकार ने सीधे बनाया ज्वाइंट सेक्रेटरी, जानें- क्या है खास वजह
प्राइवेट सेक्टर के इन लोगों को सरकार ने सीधे बनाया ज्वाइंट सेक्रेटरी, जानें- क्या है खास वजह

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अलग-अलग फील्ड के नौ विशेषज्ञ पेशेवरों को संयुक्त सचिव बनाकर सरकारी सेवा में लेटरल प्रवेश प्रक्रिया (Lateral Entry Process) के जरिए सीधा प्रवेश दिया है। इनमें से ज्यादातर विशेषज्ञ प्राइवेट सेक्टर से हैं और देश में अपने क्षेत्र के धुरंधर माने जाते हैं। इन्हें अलग-अलग विभागों में संयुक्त सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया है। सरकार का ये कदम, महत्वपूर्ण नीतियों को मूर्त रूप देने के लिए पेशेवरों की प्रवेश प्रक्रिया में एक प्रमुख बदलाव की तरफ इशारा करता है।

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बताया जा रहा है कि लेटरल प्रवेश प्रक्रिया के जरिए पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अलग-अलग मामलों के विशेषज्ञ सरकार में शामिल होंगे। मालूम हो कि सरकार में संयुक्त सचिव (Joint Secretary) का पद काफी महत्वपूर्ण होता है। इस पद पर ज्यादातर उन्हीं अधिकारियों को तैनात किया जाता है जो यूपीएससी की सिविल परीक्षा से चयनित होकर आते हैं और जिन्हें संबंधित फील्ड में काम करने का लंबा अनुभव व अच्छा ज्ञान हो।

हाल में भी कुछ विशेषज्ञों को लेटरल एंट्री के जरिए वित्त, ऊर्जा व स्वच्छता मंत्रालयों में तैनात किया गया था। सरकार में शामिल होने वाले इन पेशेवरों में मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, बिमला जालान, विजय केलकर (पूर्व पेट्रोलियम व वित्त सचिव), आरवी शाही (पूर्व ऊर्जा सचिव) इनके अलावा मौजूदा स्वच्छता सचिव परमेश्वरन अय्यर और आयुष मंत्रालय के प्रमुख राजेश कोटेचा शामिल हैं। यूपीएससी ने शुक्रवार को सरकार में शामिल होने जा रहे विशेषज्ञों की पूरी सूची जारी की है। इन विशेषज्ञों को कृषि, नागरिक उड्डयन, वित्त, परिवहन और शिपिंग विभागों में अनुबंध के तहत तैनात किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा तैनात किए जाने वाले विशेषज्ञों में अंबर दुबे, बहुराष्ट्रीय कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के साथ जुड़े हुए हैं। केपीएमजी में वह एयरोस्पेस और डिफेंस के प्रमुख हैं। सरकार द्वारा उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय में तैनात किया जाएगा। अंबर दुबे ने आइआइटी बॉम्बे व आइआइएम अहमदाबाद से पढ़ाई की है और उन्हें 26 वर्षों से ज्यादा का अनुभव है।

दूसरी विशेषज्ञ काकोली घोष है, जो फिलहाल कृषि के अलग-अलग क्षेत्र के लिए काम करने वाली एजेंसी से जुड़ी हुई हैं। उन्हें उनके अनुभव के अनुसार कृषि मंत्रालय में तैनात किया जाएगा। तीसरे विशेषज्ञ हैं सुजित कुमार बाजपेयी, जो कि राज्य द्वारा संचालित NHPC में कार्यरत हैं, उन्हें पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त किया जाना है। पनामा रिन्यूएबल एनर्जी ग्रुप के सीईओ दिनेश दयानंद जगदले, न्यू और रिन्यूबल ऊर्जा मंत्रालय में तैनात किए जाएंगे।

सौरभ मिश्रा को वित्तीय सेवा विभाग में संयुक्त सचिव, राजीव सक्सेना आर्थिक मामलों के विभाग में तैनात किए जाएंगे। अरुण गोयल को वाणिज्य मंत्रालय, सुमन प्रसाद सिंह को सड़क परिवहन मंत्रालय और भूषण कुमार को शिपिंग मंत्रालय में तैनात करने के लिए चुना गया है।

केंद्र सरकार में एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ये बहुत बड़ा बदलाव है। ये पहली बार है कि प्राइवेट सेक्टर से इतनी बड़ी संख्या में विशेषज्ञों को सरकारी विभागों महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जा रहा है। सबसे बेहतर चीज ये है कि विशेषज्ञों के चयन की पूरी प्रक्रिया यूपीएससी ने की है। चुने गए विशेषज्ञ, केंद्र सरकार के नियमों व शर्तों के तहत संबंधित विभागों में अपनी सेवा देंगे। इसके लिए उन्हें संचुक्त सचिव स्तर की तनख्वाह और सुविधाएं दी जाएंगी। मालूम हो कि सरकार नीति आयोग ने सरकारी विभागों के उच्च पदों पर विभिन्न फील्ड के विशेषज्ञों को तैनात करने के लिए लेटरल एंट्री को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की थी। नीति आयोग ने इस प्रयोग को सरकारी नीतियों को सही दिशा देने के लिए बेहद जरूरी बताया है।


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