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भाजपा के कैलेंडर में 5 अगस्त स्वर्णिम तिथि, विचारधारा के साथ राजनीति को साधने की दिखाई कूबत

कोई शक नहीं कि हर साल जिस तरह छह अप्रैल को स्थापना दिवस के रूप में मनाती है उसी तरह पांच अगस्त भी उत्सव का दिन होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 07:22 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:39 PM (IST)
भाजपा के कैलेंडर में 5 अगस्त स्वर्णिम तिथि, विचारधारा के साथ राजनीति को साधने की दिखाई कूबत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कभी-कभी कोई तिथि या घटना इतनी बड़ी हो जाती है कि अस्तित्व के लिए प्राणवायु जरूर बन जाती है। महज 40 साल की राजनीतिक आयु में पांच बार केंद्र में सत्ता और दो बार बहुमत से ज्यादा हासिल करने वाली भाजपा के लिए पांच अगस्त एक ऐसी ही स्वर्णिम तिथि बन गई है। जिस विचारधारा के साथ जन्म हुआ उसके दो सबसे बड़े बिंदु - राम मंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे का संकल्प पांच अगस्त को ही पूरा हुआ है। यह दोनों भविष्य में पार्टी के लिए कितना फायदेमंद रहेगा यह तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन कार्यकर्ताओं और जनता के बीच पार्टी पांच अगस्त को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में जरूर पेश करती रहेगी।

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जम्मू-कश्मीर के लिए 370 के खिलाफ लड़ाई में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने प्राणों की आहुति दी थी

जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान के खिलाफ लड़ाई में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने प्राणों की आहुति दी थी, वहीं राम मंदिर आंदोलन में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी जैसे कई नेताओं की सीधी भागीदारी रही थी और विवादास्पद ढांचे के ध्वंस में ये कुछ नेता आरोपित भी हैं। पिछले कई चुनाव राम मंदिर के मुद्दे पर लड़े गए।

राम मंदिर का मुद्दा सिर्फ भाजपा ने ही नहीं बल्कि विपक्ष ने भी बनाया

ऐसा नहीं कि केवल भाजपा ने ही राम मंदिर को मुद्दा बनाया बल्कि विपक्ष ने भी इसके सहारे भाजपा को अलग थलग करने की कोशिश की थी।

जब भाजपा को राममंदिर और जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था

एक वक्त में भाजपा को भी सरकार बनाने के लिए राममंदिर और जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था और तब से परोक्ष रूप से यह उपहास भी उड़ाया जाने लगा था कि भाजपा जिसे कोर विचारधारा का मुद्दा बताती है वह दरअसल सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है। यह वह काल था जब कहा जाने लगा था कि भाजपा अपनी विचारधारा की बलि चढ़ाने लगी है। राजनीतिक दोस्ती की शर्त थी कि भाजपा अपनी विचारधारा को दूर रखे और मजबूरन पार्टी को मानना पड़ा था।

विचारधारा के दो सबसे बड़े मुद्दे राममंदिर और कश्मीर हुए पूरे

पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए के खात्मे के बाद आज यानी पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राममंदिर निर्माण के शिलान्यास ने भाजपा को नया कवच दे दिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं और देश की जनता के बीच यह संदेश देने में सफल हो गई है कि वह विचारधारा के साथ राजनीति को साधने में सफल है। भाजपा को विश्वसनीय बनाने और खुद में आत्मशक्ति जगाने के लिए यह प्राणवायु की तरह काम करेगा।

आज वही दोस्त राममंदिर और कश्मीर पर साथ हैं जो कभी अलग होने की धमकी देते थे

आज वही दोस्त राममंदिर और कश्मीर पर साथ हैं जो कभी अलग होने की धमकी देते थे। जिस तरह कांग्रेस की ओर से महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राममंदिर भूमिपूजन से पहले संदेश दिया है वह यह भी बयां करता है कि भाजपा ने विपक्ष को अपने पाले मे लाकर खड़ा कर दिया है। कोई शक नहीं कि हर साल जिस तरह छह अप्रैल को स्थापना दिवस के रूप में मनाती है उसी तरह पांच अगस्त भी उत्सव का दिन होगा।


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