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Ayodhya land dispute case: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सोमवार से एक घंटे ज्‍यादा होगी मामले की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला किया है कि वह सोमवार से Ayodhya land dispute case की सुनवाई एक घंटे ज्‍यादा करेगी। अदालत पहले ही सुनवाई की समय सीमा तय कर चुकी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 10:50 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 04:45 PM (IST)
Ayodhya land dispute case: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सोमवार से एक घंटे ज्‍यादा होगी मामले की सुनवाई
Ayodhya land dispute case: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सोमवार से एक घंटे ज्‍यादा होगी मामले की सुनवाई

नई दिल्‍ली, ब्‍यूरो/एजेंसी। Ayodhya land dispute case में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शुक्रवार को 28वें दिन सुनवाई की। मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई (Chief Justice Ranjan Gogoi) की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने निश्‍चय किया कि वह सोमवार से मामले की सुनवाई एक घंटा ज्‍यादा करेगी। पीठ ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वकीलों से कहा कि अदालत ने सोमवार से सुनवाई के रोजाना समय को चार बजे से बढ़ाकर पांच बजे तक करने का फैसला किया है। अमूमन, शीर्ष अदालत शाम चार बजे के बाद मामलों की सुनवाई नहीं करती है। 

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बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की समय सीमा तय करते हुए कहा था कि उम्‍मीद है कि 18 अक्‍टूबर तक सुनवाई खत्‍म हो जाएगी। साथ ही यह भी साफ कर दिया था कि अब मध्‍यस्‍थता की कोशिशों को लेकर सुनवाई नहीं रोकी जा सकती है। यही नहीं अदालत ने पक्षकारों को मध्यस्थता से समझौता करने को लेकर भी छूट दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह पहले की तरह ही गोपनीय रहेगी। साथ ही कहा था कि सुनवाई लगातार आगे भी जारी रहेगी। इससे माना जा रहा है कि देश के इस सर्वाध‍िक चर्चित मामले में नवंबर तक फैसला आ जाएगा। 

बता दें कि शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को धमकाने के मामले में कल सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान तमिलनाडु के प्रोफेसर शनमुगम ने अपनी गलती स्‍वीकार करते हुए माफी मांगी। अदालत ने कहा कि 88 साल की उम्र में वह ऐसा क्यों कह रहे हैं। प्रोफेसर ने रामलला के खिलाफ पेश होने पर पत्र लिखकर शाप दिया था। 

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने गुरुवार को अपनी दलीलों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की कि विवादित स्थल पर मस्जिद थी। उन्होंने निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवर दास द्वारा 1885 में दाखिल वाद का हवाला देते हुए कहा था कि वह स्थल के बाहरी परिसर में राम चबूतरा मन्दिर का निर्माण कराने जा रहे थे। उन्‍होंने कहा कि फैजाबाद के उप न्यायाधीश ने याचिका को मंजूरी नहीं दी थी जिससे साफ होता है कि मुस्लिम भीतर नमाज पढ़ते थे और बाहरी परिसर में हिंदू पूजा कर रहे थे। 

बीते मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट के खरे-खरे सवालों का सामना करना पड़ा था। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से खंबों पर मूर्तियों और कमल के चित्रों को लेकर कई सवाल पूछे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या इस्लाम के मुताबिक मस्जिद में ऐसे चित्र हो सकते हैं। क्या किसी और मस्जिद में ऐसे चित्र होने के सबूत हैं। इसके अलावा कोर्ट ने राजीव धवन की ओर से 1991 की चार इतिहासकारों की रिपोर्ट को साक्ष्य में स्वीकारे जाने की दलील पर साफ कर दिया कि रिपोर्ट अदालत में साक्ष्य नहीं हो सकती वह महज राय है।  


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