विदेशी मीडिया ने इस तरह किया वाजपेयी को याद, बताया निडर और शांतिप्रिय नेता
विदेशी मीडिया ने उन्हें एक निडर और शांतिप्रिय नेता के रूप में याद किया है। डॉन, से लेकर वाशिंगटन पोस्ट तक ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की खबर को रिपोर्ट किया।
नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनका लोहा विदेशों में भी माना जाता था। उनके निधन के बाद दुनियाभार की मीडिया ने उनकी विदाई की खबरों में इसकी झलक एक बार फिर दिखाई दी। विदेशी मीडिया ने उन्हें एक निडर और शांतिप्रिय नेता के रूप में याद किया है। डॉन, से लेकर वाशिंगटन पोस्ट तक ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की खबर को रिपोर्ट किया और बतौर भारत के प्रधानमंत्री के उनके कार्यकाल को याद किया।
डॉन- वाजपेयी पाकिस्तान में भी जीत सकते थे चुनाव...!
डॉन ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को शांति के दूत और निडर लीडर के रूप में याद किया है। उन्होंने लिखा कि वाजपेयी ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को बेहतर करने के लिए काफी प्रयास किए, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। साथ ही वह एक निडर लीडर थे, जिन्हें परमाणु परीक्षण के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वाजपेयी को पाकिस्तान में एक ईमानदार और शांति प्रिय नेता के रूप में याद किया जाता है। वह ऐसे नेता थे जिनका भारत में उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों भी सम्मान करते थे। 1999 में वाजपेयी पाकिस्तान आए थे, तब उनकी लोकप्रियता को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि वाजपेयी अगर यहां चुनाव लड़ें, तो जीत सकते हैं।
सीएनएन- दबाव में कभी झुके नहीं अटल
सीएनएन ने लिखा कि अटल बिहारी वाजपेयी इस बात से अवगत थे कि परमाणु परीक्षण के बाद उनपर कई आर्थिक पाबंदियां लग सकती हैं। लेकिन वह ऐसे नेता थे जो दबाव में कभी झुके नहीं। तमाम आलोचनाओं का सामना करते हुए वह उन्होंने परीक्षण के बाद संसद में कहा था कि हमने अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आकर कोई फैसला नहीं लिया है और ना ही भविष्य में कभी लेंगे। लेख में लिखा गया है कि कैसे अटल बिहारी ने भाजपा को पुनर्जीवित किया और 1980 के बाद इसे लगातार मजबूत करते रहे। उनके राजनीतिक कैरियर में भाजपा का लगातार उद्भव होता रहा।
न्यूयॉर्क टाइम्स- वाजपेयी ने दुनिया को परमाणु टेस्ट करके चौंका दिया था
न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें दृढ़ संकल्प वाला नेता बताते हुए कहा लिखा कि 1998 से 2004 के दौरान बतौर पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को परमाणु टेस्ट करके चौंका दिया था। उन्होंने एक दशक के समझौते को खत्म करके जिस तरह से परमाणु परीक्षण किया उससे दुनिया हैरान रह गई थी। शुरुआत के 50 वर्षों तक दुनिया के लिए अटल बिहारी वाजपेयी लुप्त थे, लेकिन 70 की आयु में छह वर्ष तक दुनिया ने उन्हें सबसे बड़े लोकतंत्र के लोकप्रिय नेता के रूप में देखा।
वाशिंगटन पोस्ट- अटल ने भारत को बनाया परमाणु शक्ति
वाशिंगटन पोस्ट ने भी कुछ इसी तरह से अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उन्हें याद करते हुए लिखा कि भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जिनका 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया, उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति बनाया था। साथ ही यह भी लिखा कि आखिर कैसे परमाणु परीक्षण ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में कड़वाहट लाई थी। भारत ने पहली बार 1974 में परमाणु परीक्षण किया था और कहा था कि वह शांति के लिए यह परीक्षण कर रहा है। लेकिन नए परीक्षण ने भारत को परमाणु राष्ट्र बना दिया। जिसके बाद राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने दक्षिण एशिया की शांति भंग करने का आरोप लगाते हुए कई पाबंदी लगाई थी और परमाणु कार्यक्रम बंद करने को कहा था। लेकिन बंद दरवाजे के पीछे से अटल बिहारी वाजपेयी ने मंझे हुए कूटनीतिज्ञ की तरह दोनों देशों के बीच के रिश्ते को सुधारने का काम किया और बिल क्लिंटन 2000 में भारत के दौरे पर आए, वह पिछले दो दशक में भारत का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे।