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'कुछ लोग 'हिंदू' शब्द को 'अछूत' बनाने की कोशिश कर रहे'

उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों के संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 09:52 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 07:48 PM (IST)
'कुछ लोग 'हिंदू' शब्द को 'अछूत' बनाने की कोशिश कर रहे'
'कुछ लोग 'हिंदू' शब्द को 'अछूत' बनाने की कोशिश कर रहे'

शिकागो (एएनआइ)। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों के संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हिंदू शब्द को अछूत और असहनीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। रविवार को शिकागो में दूसरी विश्व कांग्रेस कांग्रेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।

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हिंदू धर्म के मूल्यों को बचाने की जरूरत

बता दें कि शिकागो में स्वामी विवेकानंद के 11 सितंबर, 1893 को दिए गए भाषण के 125 साल पूरे होने पर विश्व हिंदू कांग्रेस में 80 देशों ने हिस्सा लिया। द्वितीय विश्व हिन्दू कांग्रेस में उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने स्वामी विवेकानंद को याद किया। उप-राष्ट्रपति ने हिन्दू कांग्रेस में कहा कि हिन्दुत्व जीवन जीने की पद्धति है। इस मौके पर वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत सार्वभौमिक सहनशीलता में विश्वास करता है। साथ ही सभी धर्मों को सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि साझा करना और ख्याल रखना हिंदू दर्शन के मूल तत्व हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों को बचाने की जरूरत है, जिससे ऐसे विचारों और प्रकृति को बदला जा सके जो गलत सूचनाओं पर आधारित हैं।

...ताकि प्रामाणिक बातें सामने आ सकें

उन्होंने यहां कहा, 'सही राष्ट्रवाद इस अमूल्य विरासत का संरक्षण है। हमें मूल्यों को जीना चाहिए और विचारों को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करना चाहिए ताकि दुनिया का सबसे प्रामाणिक परिप्रेक्ष्य हो। यह विकृतियों और गलत धारणाओं को जमीनी स्तर पर आने से पहले रोक देना चाहिए। ताकि दुनिया के सामने सबसे प्रामाणिक बातें सामने आ सकें।'

भारत को विश्व गुरु माना जाता था

उन्होंने कहा, 'हम नाग पंचमी पर सांप को दूध पिलाते हैं जबकि कई बार सांप हमें काट लेता है। हम चींटी को चीनी खिलाते हैं जबकि कई बार चींटी भी हमें काट लेती है। दरअसल, पशु-पक्षी सहित सबको साथ लेकर चलना और सबका ख्याल रखना हिंदू की पद्धति है।' उन्होंने कहा कि केवल भारत ही अकेला ऐसा देश है, जिसने सभी धर्मों को उनके वास्तविक रूप में स्वीकार किया। एक समय में भारत को विश्व गुरु माना जाता था। उन्होंने कहा कि हमारे संस्कृति में महिलाओं को इतना सम्मान दिया जाता है कि देश में सारी नदियों का नाम महिलाओं के नाम पर है। यहां तक कि हम लोग देश को पितृभूमि नहीं मातृभूमि कहते हैं।

'हिंदू एक साथ आएंगे, तभी तरक्की होगी'

बता दें कि इसी कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवन ने शुक्रवार को कहा था कि हिंदू हजारों सालों से प्रताड़ित हो रहे हैं, क्योंकि वे अपने मूल सिद्धांतों का पालन करना और आध्यात्मिकता भूल गए हैं। हमें साथ आना होगा। हिंदू समाज तभी प्रगति करेगा, जब वह समाज के रूप में काम करेगा। भागवत ने कहा कि हिंदू किसी का विरोध करने के लिए नहीं जीते, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हो सकते हैं, जो हमारा (हिंदुओं) विरोध करते हैं। वे हमें नुकसान न पहुंचाएं, इसके लिए हमें खुद को तैयार करना होगा।

उपराष्ट्रपति नायडू ने रविवार को संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व हिंदू कांग्रेस के दौरान सूरीनाम गणराज्य के उपाध्यक्ष अधिन अश्विन से मुलाकात की। इसके अलावा यहां नायडू ने इलिनाय के 11 वें जिले बिल फोस्टर से अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य से भी मुलाकात की।

भारत की ओर देख रही पूरी दुनिया: वेंकैया

इससे पहले शनिवार को शिकागो में तेलुगु अमेरिकी समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा था कि पिछले चार सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में भारत ने बहुत तेज विकास किया है और अब पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। नायडू ने कहा, 'पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है। केवल भारत की अर्थव्यवस्था है जो इस दौर में भी प्रगति कर रही है।'

इस दौरान उन्होंने एशियाई विकास बैंक, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) जैसे विभिन्न वैश्विक आर्थिक संस्थानों के विकास संबंधी ताजा आंकड़ों और तथ्यों का भी उल्लेख किया। तेलुगु में दिए अपने भाषण में उपराष्ट्रपति ने कहा, 'जब मैं शहरी विकास मंत्री था, तब 35-40 राजदूत मुझसे मिले थे। वे सभी भारत में निवेश करना चाहते थे।' नायडू ने देश में हो रहे सुधार को व्यापक जनसमर्थन मिलने पर अपनी प्रसन्नता भी जताई। उन्होंने तेलुगु समुदाय से भारत के विकास कार्यों में भागीदार होने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वह तेलुगु अमेरिकी समुदाय की सफलता पर गर्व महसूस करते हैं।


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