Move to Jagran APP

2+2 वार्ता में अमेरिका ने चला नया दांव, कहा- ईरान नहीं हमसे खरीदें क्रूड ऑयल

अमेरिका चाहता है कि वह भविष्य में भारत की तमाम ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करे।

By Vikas JangraEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 08:47 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 08:47 PM (IST)
2+2 वार्ता में अमेरिका ने चला नया दांव, कहा- ईरान नहीं हमसे खरीदें क्रूड ऑयल
2+2 वार्ता में अमेरिका ने चला नया दांव, कहा- ईरान नहीं हमसे खरीदें क्रूड ऑयल

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। अमेरिका सिर्फ भारत के लिए बेहद अत्याधुनिक हथियारों का आपूर्तिकर्ता देश बनने की ख्वाहिश नहीं रखता बल्कि वह यह भी चाहता है कि वह भविष्य में भारत की तमाम ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करे। इस बात की मंशा अमेरिकी पक्षकारों ने पिछले हफ्ते की टू प्लस टू वार्ता के दौरान प्रकट की।

दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में हुई इस बैठक में अमेरिकी पक्ष ने कहा कि वह भारत के कच्चे तेल व गैस की अधिकांश आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। इस प्रस्ताव के पीछे जानकार एक वजह यह भी मानते हैं कि अमेरिका लगातार कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा रहा है और उसे भारत जैसे बड़े खरीददार की जरूरत है।

loksabha election banner

Image result for 2+2 dialogue
इस बैठक की जानकारी रखने वाले एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, ''ईरान पर लागू प्रतिबंधों पर चर्चा के दौरान भारत ने अपना पक्ष साफगोई से पेश किया। भारत ने ईरान से तेल आयात में भारी कटौती करने के रास्ते में अपनी परेशानियों के बारे में बताया। इस पर अमेरिकी अधिकारियों ने क्रूड व भारत की अन्य ऊर्जा जरूरतों के बड़े हिस्से को पूरा करने का प्रस्ताव रखा।''

क्रूड का कारोबार भारत व अमेरिका के बीच के व्यापार घाटे के संतुलन को बनाने में भी मदद कर सकता है जो अभी भारत के पक्ष में है। उक्त अधिकारी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत अमेरिका से 2.5 अरब से 3 अरब डॉलर का क्रूड खरीद सकता है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत ने 1.5 अरब डॉलर का क्रूड खरीदा था।

Related image
अमेरिका के इस प्रस्ताव को भारत भी अपने लंबे समय के हितों के मुताबिक सही मान रहा है। पिछले 20-25 वर्षो में भारत खाड़ी के जिन देशों से क्रूड खरीदता है वहां लगातार कुछ न कुछ राजनीतिक या आर्थिक समस्या पैदा हो रही है। इससे क्रूड की कीमतों में भी काफी उतार चढ़ाव आता है जिसका खामियाजा भारतीय अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ता है। अगर अमेरिका से क्रूड खरीदा जाएगा तो खाड़ी क्षेत्र की अनिश्चितता से बचा जा सकेगा।

जानकारों की मानें तो भारत में जिस तेजी से ऊर्जा की खपत बढ़ रही है उस पर अमेरिका की नजर है। अभी भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। दूसरी तरफ वर्ष 2018 में अमेरिका ने कच्चे तेल के उत्पादन में सऊदी अरब और रूस को भी पीछे छोड़ दिया है। ऐसे में अमेरिका के तेल व गैस उत्पादन का भारत एक बड़ा बाजार बन सकता है।
Image result for crude oil
भारत ने पिछले वर्ष से अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है। अमेरिका के एनर्जी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2017 में भारत को 2.35 लाख बैरल प्रति दिन क्रूड निर्यात किया गया जो जून, 2018 में बढ़ कर 4.13 लाख बैरल प्रति दिन हो गया है।

अगस्त, 2018 में देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी इंडियन आयल ने अमेरिका से 60 लाख बैरल तेल खरीदने का फैसला किया है जिसकी आपूर्ति नवंबर 2018 से शुरु होगी। दूसरी सरकारी तेल कंपनियां भी अमेरिका के कच्चे तेलों की प्रकृति के मुताबिक अपनी रिफाइनरियों में संशोधन कर रही हैं ताकि भविष्य में ज्यादा अमेरिकी क्रूड खरीदा जा सके। भारत ने पिछले वर्ष अमेरिका से सालाना 2.2 करोड़ टन एलएनजी खरीदने का भी बड़ा समझौता किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.