भारत और दक्षिण कोरिया ने सैन्य सामग्री के संयुक्त उत्पादन पर सहमति जताई, इन क्षेत्रों में भी बढ़ाएंगे सहयोग
भारत और दक्षिण कोरिया ने रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में समझौतों को व्यापक तौर पर विस्तार देने के तहत सैन्य समग्री के संयुक्त उत्पादन और निर्यात में सहयोग को और बढ़ाने पर रजामंदी जताई है। दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत और दक्षिण कोरिया ने रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती देने पर सहमति जताई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों देशों ने रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में समझौतों को व्यापक तौर पर विस्तार देने के तहत सैन्य समग्री के संयुक्त उत्पादन और निर्यात में सहयोग को और बढ़ाने पर रजामंदी जताई है। यही नहीं दोनों देश खुफिया सूचनाएं साझा करने के साथ ही साइबर और अतंरिक्ष क्षेत्र में सहयोग बढाने पर सहमत हुए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष शु वुक (Suh Wook) के बीच शुक्रवार को हुई प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के दौरान उक्त फैसले लिए गए। दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्री शु वुक (Suh Wook) बृहस्पतिवार से तीन दिन दिवसीय भारत दौरे पर थे। इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा एवं सैन्य सहयोग के द्विपक्षीय समझौतों को बढ़ावा देना था।
सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों ने रक्षा औद्योगिक सहयोग के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान, रक्षा उपकरणों का संयुक्त उत्पादन और इनके संयुक्त निर्यात पर जोर देने का फैसला लिया। इस बैठक में रक्षा औद्योगिक सहयोग पर व्यापक चर्चा की गई। बता दें कि दक्षिण कोरिया एक मजबूत सहयोगी के तौर पर भारत को हथियारों एवं सैन्य उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। साल 2019 में भारत और दक्षिण कोरिया ने विभिन्न नौसेना प्रणालियों के संयुक्त उत्पादन में सहयोग को लेकर एक रोडमैप को अंतिम रूप दिया था।
बीते शुक्रवार को हुई बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष ने अपने रक्षा तथा सैन्य संबंधों को और बढ़ाने के लिए नए रास्तों की संभावना पर विचार किया था। इस बैठक में दोनों नेताओं ने स्थायी शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय पहलकदमियों का समर्थन किया था। इस बैठक में द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने के तरीकों समेत कई मसलों पर बातचीत हुई थी। माना जा रहा है कि इस बैठक में चीन की सैन्य आक्रामकता को लेकर भी चर्चा हुई।