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भारत ने कोरोना संकट में दुनिया के 150 देशों को भेजी दवाएं, 72 मुल्‍कों को दी कोविड वैक्‍सीन : जयशंकर

भारत ने कोरोना संकट के दौरान दुनिया के अधिकांश मुल्‍कों की दवाओं एवं अन्‍य जरूरी चिकित्‍सा उपकरणों के साथ मदद की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्‍यसभा में गुरुवार को कहा कि कोरोना महामारी के मुश्किल वक्‍त में भी भारत ने दुनिया के कई मुल्‍कों की मदद की है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 04:07 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 11:36 PM (IST)
भारत ने कोरोना संकट में दुनिया के 150 देशों को भेजी दवाएं, 72 मुल्‍कों को दी कोविड वैक्‍सीन : जयशंकर
भारत ने कोरोना संकट के दौरान दुनिया के अधिकांश मुल्‍कों की दवाओं एवं वैक्‍सीन से मदद की है।

नई दिल्ली, जेएनएन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि कोरोना संकट के दौरान भारत ने जिस तरह से दुनिया भर में दर्जनों देशों को दवाइयों से लेकर वैक्सीन उपलब्ध कराने की कोशिशें की हैं उससे देश की साख काफी बढ़ी है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके प्रति ज्यादा सम्मान भाव आया है। विदेश मंत्री ने यह बात लोकसभा और राज्य सभा में सरकार की वैक्सीन मैत्री पर बयान देते हुए कही। उन्होंने बताया कि भारत अभी तक 72 देशों को कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध करा चुका है। इसके अलावा लगभग 150 देशों को भारत ने कोरोना से लड़ाई में दवाइयों के साथ ही चिकित्सा सामग्रियां भी मुहैया कराई हैं।

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सबसे पहले पड़ोसी देशों का ख्‍याल 

वैक्सीन मैत्री के बारे में जयशंकर ने बताया कि भारत ने सबसे पहले अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन देने के साथ इसकी शुरुआत की। मालदीव, भूटान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार के अलावा सेशल्स और मारीशस को वैक्सीन दी गई। इसके बाद थोड़े दूर पर बसे पड़ोसी देशों और खाड़ी के देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई गई। अफ्रीका और दूरस्थ कैरेबियाई देशों को भी वैक्सीन मैत्री में शामिल किया गया।

लोक केंद्रित विदेश नीति अपनाई 

विदेश मंत्री ने बताया कि भारत ने सही मायने में लोक केंद्रित विदेश नीति को अपनाया। दुनिया ने न सिर्फ भारत की स्वार्थरहित कूटनीति को देखा बल्कि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता को भी परखा। सरकार की तरफ से मुहैया कराई जाने वाली वैक्सीन के अलावा कंपनियों की तरफ से भी सीधे तौर पर वैक्सीन की आपूर्ति की जा रही है। वैक्सीन मैत्री के तहत भारत अभी तक 72 देशों को मेड इन इंडिया वैक्सीन दे चुका है।

भारत की पहचान को किया मजबूत 

जयशंकर ने कहा कि इस अभियान ने 'फार्मेसी ऑफ द व‌र्ल्ड' के तौर पर भारत की पहचान को और मजबूत किया है। इसके साथ ही मेक इन इंडिया में भी दुनिया का भरोसा बढ़ा है। वैक्सीन मैत्री की इस पहल से भारत के प्रति दुनिया के छोटे और कम आर्थिक ताकत वाले देशों का भरोसा बढ़ा है। उन्हें इस बात का भरोसा हो गया है कि कम से कम एक देश है जो वैक्सीन को पूरी दुनिया के लिए सुलभ बनाने को लेकर गंभीर है। 

मेडिकल प्रोफेशनलों को किया प्रशिक्षित 

वैक्सीन देने के साथ ही भारत ने अपने चिकित्सा संस्थानों के जरिए 47 देशों के मेडिकल प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। बांग्लादेशी प्रोफेशनलों को विशेष तौर पर बांग्ला में प्रशिक्षित किया गया। जयशंकर ने कोरोना की शुरुआत के साथ ही जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी ने वैश्विक बिरादरी के साथ संपर्क बनाने और पड़ोसी देशों को मदद पहुंचाने को भारतीय कूटनीति का हिस्सा बनाया, उसका भी खास तौर पर जिक्र किया।

सफलता का श्रेय लेने कई लोग आ जाते हैं

विदेश मंत्री की तरफ से भारत सरकार को श्रेय देना राज्य सभा में कांग्रेस के सदस्य आनंद शर्मा को रास नहीं आया। उन्होंने भारतीय डॉक्टरों व फार्मा कंपनियों को भी श्रेय देने की बात कही। कांग्रेस नेता ने कहा कि लंबे समय से भारतीय फार्मा उद्योग को मजबूत किया जा रहा है और उसकी वजह से यह सफलता मिली है। इस पर जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा कि जब सफलता मिलती है तो उसका श्रेय लेने वाले कई लोग सामने आ जाते हैं।


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