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Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली में सरगर्मी बढ़ी; दुंशाबे में भी बैठक, एनएसए डोभाल होंगे शामिल

देश की राजधानी दिल्‍ली एकबार फ‍िर अफगानिस्तान के मसले पर विमर्श का केंद्र बन गई है। इसमें भाग लेने के लिए अमेरिका के दो वरिष्ठ अधिकारी नई दिल्ली पहुंचे हैं। हाल ही में दुशांबे में भी एक बैठक होने जा रही है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 09:25 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 01:30 AM (IST)
Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली में सरगर्मी बढ़ी; दुंशाबे में भी बैठक, एनएसए डोभाल होंगे शामिल
दुशांबे में अफगानिस्तान में शांति बहाली पर एक बैठक होगी जिसमें एनएसए अजीत डोभाल हिस्सा लेंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास को दोबारा खोलने की चर्चाओं के बीच दिल्ली एक बार फिर अफगान को लेकर विमर्श का केंद्र बन गया है। भारत के साथ विमर्श के लिए एक तरफ जहां अमेरिका के दो वरिष्ठ अधिकारी नई दिल्ली पहुंचे हैं वहीं अफगानिनस्तान के पूर्ववर्ती सरकारों के कुछ वरिष्ठ अधिकारी जैसे डा. अबदुल्ला अबदुल्ला भी यहां पर हैं।

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उधर, दुशांबे में अफगानिस्तान में शांति बहाली पर चीन, रूस, ईरान व मध्य एशियाई देशों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक भी होने वाली है जिसकी अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि इसमें एनएसए अजीत डोभाल हिस्सा ले रहे हैं। संकेत इस बात के हैं कि अफगानिस्तान को लेकर भारत ने संयम दिखाने की जो रणनीति अपनाई थी उसके सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।

दूसरी तरफ, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में भी कुछ तनाव साफ तौर पर दिख रहा है। अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि (अफगानिस्तान के लिए) थामस वेस्ट ने एक दिन पहले ही भारत का दौरा किया और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की।

वेस्ट ने बताया है कि उनकी विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (ईरान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान) जेपी सिंह के साथ मुलाकात हुई है, जिसमें भारत की तरफ से अफगान को दी जा रही मदद और दूसरे विषयों पर विमर्श हुआ है। उन्होंने अफगानिस्तान में मानवीय सेवाओं की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत की तरफ से किये गये प्रयासों की भी सराहना की है।

वेस्ट ने अफगानिस्तान की मदद के लिए भारत के साथ आगे भी काम करने की बात कही है। वेस्ट भारत से लौट चुके हैं लेकिन उप सचिव (ट्रेजरी विभाग) एलिजाबेथ रोजनबर्ग अभी यहां हैं। भारत पिछले कुछ महीनों के दौरान अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं के अलावा बड़ी संख्या में दवाइयों व चिकित्सा सामग्री भेज चुका है।

यह भी उल्लेखनीय है कि तालिबान के आने के बाद भारत की मदद से अफगानिस्तान में चलाए जा रहे दर्जनों परियोजनाओं का भविष्य अंधकार में हैं। भारत वहां तीन अरब डॉलर की परियोजनाओं को पूरा कर चुका है। दबकि दो अरब डॉलर की परियोजनाओं पर काम कर रहा है। अफगानिस्तान को लेकर भारत की बातचीत लगातार दूसरे देशों के साथ जारी है।

पीएम नरेन्द्र मोदी की हाल के महीनों में दूसरे देशों के प्रमुखों के साथ बातचीत में अफगानिस्तान का मुद्दा हमेशा उठता रहा है। इस क्रम में दुशांबे में अगले दो दिनों तक अफगानिस्तान को लेकर होने वाली वार्ता की बहुत ही ज्यादा अहमियत है। इस बैठक में ताजिकिस्तान के अलावा कजाखिस्तान, तुर्केमेनिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान के अलावा चीन, रूस, ईरान और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) हिस्सा लेंगे।

इसमें पाकिस्तान को भी हिस्सा लेना था लेकिन वहां की सरकार अभी तक एनएसए नियुक्त नहीं कर सकी है। इस बैठक में अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति और वहां आम जनता को मदद पहुंचाने पर खास तौर पर बातचीत होगी। इन देशों की अंतिम बैठक दिसंबर, 2021 में नई दिल्ली में ही हुई थी लेकिन उसमें चीन और पाकिस्तान के अधिकारियों ने हिस्सा नहीं लिया था। 


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