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बिम्सटेक के मंच से मिली पाकिस्तान को मिली नसीहत

दक्षिण एशिया में पाकिस्तान व मालदीव को छोड़ कर अन्य सभी देश (भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाइलैंड व म्यांमार) इसके सदस्य हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 05:15 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 08:35 PM (IST)
बिम्सटेक के मंच से मिली पाकिस्तान को मिली नसीहत
बिम्सटेक के मंच से मिली पाकिस्तान को मिली नसीहत

काठमांडू, पीटीआइ। काठमांडू में बिम्सटेक देशों के प्रमुखों ने साफ संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में दक्षिण एशियाई देशों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन यही रहेगा। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान व मालदीव को छोड़ कर अन्य सभी देश (भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाइलैंड व म्यांमार) इसके सदस्य हैं। इनके राष्ट्र प्रमुखों की दो दिवसीय बैठक के बाद जारी काठमांडू घोषणा पत्र में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को परोक्ष तौर पर नसीहत दी गई है। इसमें कहा गया है कि किसी भी देश को किसी भी तरह के आतंकवाद का ना तो समर्थन करना चाहिए और ना ही सीमा पार आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। सनद रहे कि आतंकवाद पर पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए ही दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की पिछली बैठक रद्द हो गई थी और इसके भविष्य को लेकर सवालिया निशान बरकरार है।

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बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकोनोमिक को-आपरेशन (बिम्सटेक) की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी लेकिन पिछले दो दिनों तक काठमांडू में हुई बैठक को अभी तक का सबसे अहम बैठक कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा। क्योंकि इस बैठक में पहली बार इन देशों के बीच इस संगठन की गंभीरता व इसके भावी प्रारूप को लेकर एक सहमति बनी है। सभी देश इसकी लंबी अवधि के उद्देश्य को लेकर गंभीर हुए हैं और इनमें यह सहमति भी बनी है कि हर देश अपने स्तर पर इसे क्षेत्रीय व अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी खास तवज्जो दिलाएंगे। पिछले हफ्ते अमेरिका ने भी बिम्सटेक की अहमियत को स्वीकार किया था। इस संगठन के अधिकांश देश बंगाल की खाड़ी के आस पास है और इस समुद्री क्षेत्र की अहमियत अमेरिका की हिंद-प्रशांत महासागर में बढ़ रही दिलचस्पी की वजह से बढ़ गई है। भारत भी चाहता है कि सार्क की जगह यह संगठन ही तेजी से आगे बढ़े।

बिम्सटेक के घोषणा पत्र में जो अन्य बातें प्रमुख हैं उनमें सभी सदस्य देशों के भी साझा ट्रांसपोर्ट व संचार व्यवस्था को लागू करना है। इसके लिए सभी देशों के बीच राजमार्गो, रेलवे नेटवर्को, समुद्री मार्गो का साझा नेटवर्क तैयार किया जाएगा। इसके लिए वर्ष 2025 का मास्टर प्लान बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि यह मास्टर प्लान चीन की कनेक्टिविटी परियोजना (बीआरआइ) का जवाब होगा। इसके साथ ही बिम्सटेक देशों ने मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भी सहमति जताते हुए कहा है कि इस पर जारी वार्ता जल्द से जल्द पूरी की जाएगी। शीर्ष नेताओं ने इस बारे में वार्ता कर रहे अपने मंत्रालयों व विभागों को निर्देश दिया है कि वह एफटीए पर जल्द से जल्द वार्ता पूरी करें।


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